पानी के बिलों वसूली न होने से जलापूर्ति योजनाओं पर असर

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  • जिला परिषद पानी के बिलों का बकाया
  • 44.42 करोड़ रुपये तक पहुंच 

अकोला. महाराष्ट्र जीवन प्रधान (मजिप्रा) ने अब तक जिला परिषद से 1.83 करोड़ रुपये में से केवल 50 लाख रुपये ही जलापूर्ति योजनाओं के रखरखाव के लिए प्राप्त किए हैं, क्योंकि क्षेत्रीय जल आपूर्ति योजना के तहत जिला परिषद के पंचायत विभाग से पानी की वसूली बहुत कम है. सूत्रों के मुताबिक पानी का बिल बकाया 44.42 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. जिले के 84 और 64 गांवों में क्षेत्रीय जल आपूर्ति जैसी प्रमुख योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति की जाती है, लेकिन जलापूर्ति के बिल काफी हद तक रूके हुए हैं.

नतीजन, पानी की आपूर्ति अक्सर खंडित होती है. इसलिए, यह एक तथ्य है कि जिला परिषद को अपनी आय से रखरखाव और मरम्मत के लिए खर्च करना पड़ता है. 31 दिसंबर को हुई जिला परिषद वित्त समिति की बैठक में पानी के बिल वसूली के मुद्दे पर जोरदार बहस हुई. सदस्यों ने जलकर वसूली पर नाराजी प्रकट की. वसूली संतोषजनक न होने पर जलापूर्ति की लागत पर ब्रेक लगाने का भी निर्णय लिया गया.

जिला परिषद की आय से बड़े प्रमाण में जलापूर्ति पर खर्च किया जाता है. लेकिन वसूली न होने से अनेक योजनाएं ठंडे बस्ते में रहने की प्रतिक्रिया सदस्यों ने प्रकट की है. अब अगले सप्ताह में आयोजित जल व्यवस्थापन समिति की सभा में क्या निर्णय लिया जाता है, इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है. 

सन 2020-21 में प्रादेशिक जलापूर्ति योजना का बकाया 35.35 करोड़ रू. था. और अब वर्तमान वर्ष की जलापूर्ति की रकम 8.87 करोड़ रू. हुई है. वसूली की रकम 44.43 करोड़ हुई है.  मांग के 40 प्रतिशत वसूली न करनेवाले संबंधित सरपंच और सचिवों पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव इसके पूर्व ही सर्वसाधारण सभा में मंजूर किया गया है. उस अनुसार अब जानकारी संकलित की जा रही है. संबंधितों पर क्या कार्रवाई की जाती है इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.