लॉकडाउन के कारण छात्रों के सीखने में समस्या, ऑनलाइन सीखने में भी समस्याएं

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    •  ऑनलाइन व्याख्यान हुआ 

    अकोट. पिछले एक साल से लॉकडाउन के कारण छात्रों को शिक्षा में लगातार समस्याएं आ रही है. हर जगह ऑनलाइन शिक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है. इसलिए प्रवीण बोंद्रे ने ऑनलाइन पध्दति से लॉकडाउन में प्रॉब्लेम ऑफ स्टूडेंट एजुकेशन एंड प्रॉब्लम्स इन ऑनलाइन लर्निंग पर एक व्याख्यान का आयोजन किया था. 

    भारत में 52 फीसदी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, यानी आधा भारत अभी भी इंटरनेट से दूर है. ग्रामीण इलाकों में 36 फीसदी और शहरी इलाकों में 64 फीसदी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. 67 फीसदी पुरुष और 33 फीसदी महिलाएं इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं. इससे भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में भारी अंतर आता है.

    इसके अलावा, भारत में 16 प्रतिशत घरों को प्रतिदिन एक से आठ घंटे बिजली मिलती है, 33 प्रतिशत घरों को प्रतिदिन 9 से 12 घंटे बिजली की आपूर्ति मिलती है और 47 प्रतिशत घरों में 12 घंटे से अधिक बिजली की आपूर्ति होती है लेकिन इसमें भी अनियमितता है. बिजली की आपूर्ति में हम भारत में बिजली वितरण में भारी असमानता भी देखते हैं. संपन्न परिवारों के बच्चे चिकित्सा, इंजीनियरिंग और प्रबंधन में शिक्षित होते हैं.

    इसलिए वे लैपटॉप, कंप्यूटर, स्मार्टफोन और इंटरनेट सेवाओं का खर्च उठा सकते हैं, इसलिए उनकी ऑनलाइन शिक्षा जारी है. साथ ही उच्च मध्यम वर्ग के बच्चे सभी सुसज्जित फाइव स्टार स्कूलों में जाते हैं, इसलिए उनकी ऑनलाइन पढ़ाई भी चल रही है. आज ऑनलाइन शिक्षा शहर के संपन्न वर्ग का एकाधिकार हो गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूर वर्ग के गरीब बच्चों के साथ-साथ आदिवासियों और सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में जाने वाले छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा की एक बड़ी समस्या है.

    क्योंकि यह वर्ग ऐसा है कि इनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही बिकट है. वे कंप्यूटर, लैपटॉप, इंटरनेट सेवाएं, स्मार्टफोन, विद्युत सेवाएं नहीं खरीद सकते. इसका मतलब है कि उनके पास बहुत कम डिजिटल डिवाइस हैं, इसलिए इस वर्ग को ऑनलाइन शिक्षा में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. 

    कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया है. भारत में लॉकडाउन के कारण 15 लाख स्कूल बंद हैं. भारत में 50,000 उच्च शिक्षा कॉलेज बंद हैं और अनुमानित 30 करोड़ छात्र भारत में घर पर हैं. यह एक बहुत बड़ा टाइम बम है और कभी भी छात्रों की शिक्षा के नुकसान की भरपाई नहीं करेगा. ऐसी बहुत ही उपयोगी जानकारी प्रा. प्रवीण बोंद्रे ने अपने व्याख्यान में दी है. भारत सरकार के शिक्षा विभाग को इस जानकारी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.