रोबोटिक्स ने दी 18 लड़कियों को अंतरराष्ट्रीय पहचान

    Loading

    अकोला. किट्स के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स प्रतियोगिता में भाग लेने वाली 18 लड़कियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और अकोला को चमका दिया. इनमें से अधिकांश लड़कियां ग्रामीण और साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से हैं और उनकी शैक्षिक संरक्षकता को स्वीकार किया जाना चाहिए, यह आहवान रोबोटिक्स प्रशिक्षक काजल राजवैद्य, विजय भट्टड ने किया. वे शनिवार को जठापेठ में स्थित एक होटल आयोजित पत्र परिषद में बोल रही थी.

    उन्होंने बताया कि रोबोटिक्स में इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल और अन्य विषयों का समग्र अध्ययन होता है और सिद्धांत के बजाय व्यावहारिक पर जोर दिया जाता है. पहली रोबोटिक्स प्रतियोगिता में केआईटीएस की टीम का चयन किया गया था. साथ ही ग्रैंड फिनाले में 11 देशों की 3 हजार शोध टीमों में से 20 का चयन किया गया. इसमें अकोला की लड़कियों द्वारा बनाई गई बुवाई मशीन को प्रभावशाली प्रोजेक्ट अवार्ड मिला. जिससे दुनिया भर में इन लड़कियों की सराहना की गई है. 

    18 लड़कियों की टीम में

    गायत्री तावरे, स्नेहल गवई, अंकिता वजिहे, अर्पिता लंगोटे, निकिता वसतकर, रुचिका मुंडाले, सायली वाकोड़े, प्रणाली इंगले, गौरी गायकवाड़, नेहा कलड़कार, पूजा फुरसूले, स्वाति सरदार, सानिका काले, आंचल दाभाड़े, दिया दाभाड़े, गौरी झांबरे, प्रांजलि सदाशिव तथा एक अन्य शामिल हैं.

    स्वचालित बुवाई मशीन

    लड़कियों ने स्वचालित बुवाई मशीनों का निर्माण किया, यह सोचकर कि खेती के लिए रोबोट कैसे उपयोगी हो सकते हैं. इसमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया. इसेसे एक एकड़ खेत एक घंटे में बोया जा सकता है. काजल राजवैद्य और लड़कियों ने कहा कि 10 किसानों को उपकरण प्रदान किए गए और उनसे फीडबैक लिया गया था. देश की बड़ी कंपनियों ने भी इस प्रयोग का संज्ञान लिया है.

    थ्योरी के बजाय प्रैक्टिकल पर जोर

    हमने थ्योरी के बजाय प्रैक्टिकल पर ध्यान केंद्रित किया, यह सोचकर कि प्रैक्टिकल पर आधारित शिक्षा से छात्रों को अधिक लाभ हो सकता है. ऐसा लगता है कि इसने कौशल विकास को गति दी है. हम सिर्फ 18 लड़कियों पर ही नहीं रुकना चहाते हैं, बल्कि इस संख्या को भी बढ़ाना चाहते हैं. ताकि महिला सशक्तिकरण को सही मायने में हासिल किया जा सके, यह भी राजवैद्य ने कहा. 

    लड़कियों का दायित्व स्वीकारें 

    अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाली लड़कियों को आगे की शिक्षा के लिए एक मजबूत नींव की जरूरत होती है. इसलिए दाताओं ने उनका दायित्व स्विकार करना चाहिए, यह आहवान किया गया है. उम्मीद है कि इससे जिले में लड़कियों की संख्या में इजाफा होगा.

    नेत्रहीन छात्रों के लिए किट का उत्पादन

    नेत्रहीन छात्रों को रोबोटिक्स तकनीक से लाभान्वित करने के लिए एक किट विकसित की जा रही है. ताकि नेत्रहीन छात्र इस ज्ञान से वंचित न रहें, यह भी काजल राजवैद्य ने कहा.