FARMER RICE

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    • बुआई के लिए किसानों को हो रही तकलीफ (पी-1 बाटम)

    अकोला. पिछले वर्ष वापसी की अत्यधिक बारिश के कारण खरिफ फसलों का बहुत अधिक नुकसान हुआ था. सोयाबीन की फसल भी खराब हो गई थी. थोड़ी बहुत कपास किसानों के हाथ लगी थी लेकिन अनेक क्षेत्रों में कपास की क्वालिटी खराब हो गई थी. इस तरह पिछले वर्ष कई किसान ऐसे थे जिनको फसलों का उत्पादन खर्च भी नहीं निकल पाया था. उसके बाद किसानों का पूरा दारोमदार रबी की फसलों पर था लेकिन रबी की फसल में भी किसानों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रही. इस तरह किसानों की हालत काफी खराब होकर रह गई है. 

    लाकडाउन से भी स्थिति बिगड़ी

    एक तो पहले ही किसानों की स्थिति खराब थी उस पर पिछले काफी लंबे समय तक लाकडाउन चलने के कारण एपीएमसी भी पूरी तरह से लंबे समय तक बंद रही. इस कारण भी एपीएमसी में अनाज की आवक काफी कम होती रही. लाकडाउन के कारण भी किसानों की स्थिति बिगड़ती ही रही.

    इसके बाद जब किसान खरिफ फसलों की बुआई की तैयारियों में लगे हैं ऐसे समय में कृषि से संबंधित प्रतिष्ठानों को खोलने का समय काफी कम था. इसी के साथ साथ काफी लंबे समय तक सभी एसटी बसें भी बंद थीं. इस कारण भी किसान जिला मुख्यालय में खेती से संबंधित वस्तुएं खरीदने पहुंच नहीं सकें. 

    कई किसानों को फसल कर्ज नहीं मिला

    अभी तक कई किसानों को बैंकों द्वारा फसल कर्ज नहीं मिल सका है. स्थानीय किसान दीपेश तिवारी ने बातचीत के दौरान बताया कि जिन किसानों ने पिछले कर्ज पूरी तरह से भर दिए हैं उनमें से भी कई किसानों को अकोला तहसील में अभी तक फसल कर्ज नहीं मिला है. इसी तरह कई किसान ऐेसे भी है जिनको बीमा कंपनी द्वारा नुकसान भरपाई नहीं मिली है.

    इस कारण भी किसान परेशान हैं. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष खरीफ फसलों में कई किसानों को उत्पादन खर्च भी नहीं मिल सका है. इस वर्ष उनके पास बुआई के लिए पैसे नहीं है. इस परिस्थिति में किसानों को तुरंत फसल कर्ज दिया जाना चाहिए. तभी वे ठीक ढंग से खरिफ फसलों की बुआई कर सकेंगे. 

    महाबीज के बीज की कमी

    इन सब परेशानियों के साथ साथ किसानों की एक और महत्वपूर्ण परेशानी है. इस वर्ष किसानों को महाबीज के सोयाबीन के बीज के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. सोयाबीन के बीज की काफी कमी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार महाबीज को बड़े प्रमाण में सोयाबीन के बीज मिले थे लेकिन जब उनकी जांच की गयी तो वे बीज फेल हो गए. शायद इसी कारण इस वर्ष महाबीज के सोयाबीन बीज की काफी कमी है. किसानों से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि यह बीज 2,200 रू. प्रति बैग के अनुसार प्राप्त हो जाते हैं.

    एक बैग में करीब 30 किलो बीज रहता है लेकिन इस वर्ष यह बीज मिल नहीं पा रहे हैं. वहीं सभी निजी कंपनियों के सोयाबीन के बीज 3,000 रू. प्रति बैग से अधिक कीमत में उपलब्ध हैं. कहीं कहीं तो दाम 3,200 से भी अधिक हैं. इस कारण भी किसानों को बीज खरीदने के लिए काफी भागदौड़ करनी पड़ रही है. सरकार का काम है कि किसानों को उचित दरों में सोयाबीन के बीज उपलब्ध करवाए.