पूर्णा नदी के जलप्रदूषण की समस्या अभी भी कायम

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  • औद्योगिक क्षेत्र से छोड़ा जा रहा गंदा पानी
  • खारे पानी पट्टेवाले क्षेत्र के लोगों की परेशानी बढ़ी

अकोला. पूर्णा नदी में उद्योगों का गंदा पानी मिलने से यह नदी प्रदूषित हुई है. जिसका असर खारे पानी के पट्टे वाले क्षेत्र के लोगों के जीवन पर हो रहा है. यह समस्या हल करने में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अभी सफल नहीं हुआ है. रसायन युक्त पानी औद्योगीक क्षेत्र से नदी में छोड़े जाने से यह पानी अब पीने योग्य नहीं रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की रिपोर्ट मिलने के बावजूद इस समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. इसके खिलाफ जनता की भावना तीव्र हुई है.

विधायक रणधीर सावरकर, सामाजिक कार्यकर्ता गणेश पोटे ने इस मुद्दे को उठाकर कई बार आवाज उठायी है. अमरावती में औद्योगिक बस्ती से निकलने वाले पानी को पूर्णा नदी में बहाया जा रहा है, जो क्षेत्र के लिए सिरदर्द बना हुआ है. पिछले कुछ वर्षों से सामाजिक कार्यकर्ता गणेश पोटे ने इस मुद्दे को लोगों के सामने उठाया है, लेकिन इस समस्या का हल न निकलने से 16 सितंबर, 2020 को पूर्णा के पात्र में उन्होंने आंदोलन कर प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया. तब विधायक रणधीर सावरकर ने पहल कर उनका आंदोलन छुड़ाया.

उन्होंने गांधीग्राम में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को बुलाकर उनसे चर्चा की है तथा यह समस्या शीघ्र हल करने की सूचना दी है. लेकिन इसके बावजूद यह समस्या अभी तक हल नहीं हुई है. अब तक बात को ढाई माह पूर्ण हुए हैं लेकिन अभी भी पूर्णा नदी में गंदा पानी छोड़ा जा रहा है. जिससे संबंधित विभाग की इस ओर अनदेखी नजर आ रही है.

विधायक सावरकर ने 16 अक्टूबर को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक की. उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कार्य की प्रगति की समीक्षा की, लेकिन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहने के कारण उन्होंने अधिकारियों को फटकार लगाई. पूर्णा नदी के किनारे रहने वाले नागरिकों और मवेशियों के जीवन के साथ खिलवाड़ करना तुरंत बंद करने के निर्देश इस अवसर पर विधायक सावरकर ने दिए थे.

प्रदूषण रोका नहीं गया तो प्रतिकात्मक आंदोलन

पूर्णा नदी का जलप्रदूषण 15 दिनों के भीतर रोका न गया तो प्रतिकात्मक आंदोलन किया जाएगा, यह सूचना सामाजिक कार्यकर्ता गणेश पोटे ने दी है. जिससे संबंधित विभाग द्वारा इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है, साथ ही इस समस्या को हल किए बिना वे स्वस्थ नहीं रहेंगे, यह भी पोटे ने कहा.