आसेगांव. आधुनिकता के इस दौर में युवा पीढ़ी सही रास्ते पर चले इस की आवश्यकता परिवार व गांव के लिए भी बेहद जरूरी होती है. लेकिन जिस गांव में एक भी युवा स्वयं के बलबूते पर लगभग 20 वर्षों से किसी भी सरकारी नौकरी पर नहीं लग पाया हो और यदि ऐसे गांव में वर्तमान की युवा पीढ़ी विविध प्रकार के नशे के आधिन हो रहे हो तो ऐसी स्थिति में आने वाली युवा पीढ़ी को जीवन जीने की कौन सी दिशा मिलेंगी और युवा वर्ग कैसे गांव का भविष्य संभालेंगे यह बात हर किसी के लिए चिंता का विषय तो है़ विविध प्रकार के नशा करने वाले की तादाद अब इस पूरे परिसर में बढ़ गई.
अभिभावक अपने बच्चों के लिए सपने संजोते है़ खुद मुसीबत में घिरकर औलाद को पढ़ा लिखाकर अच्छे व्यवसाय या फिर नौकरियां लगाने की मंशा को ध्यान में रखकर केवल उनके भविष्य को ही संवारने की कोशिश करते है. खुद कामकाज मेहनत मजदूरी कर बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देते है. लेकिन बुरी संगत और मार्गदर्शन के अभाव ने विशेष कर वर्तमान की स्थिति में ग्रामीण इलाकों में हर दस में से चार युवा किसी ना किसी नशे की लत से झूजने को मजबूर होने लगा है.
ग्रामीण इलाकों में देसी शराब, जुआ खेलना जैसे आम बात हो गई हो इन दोनों शौक का प्रमाण अधिक बढ़ने से अधिकतर युवा इन की चपेट में ही आने लगे है. इस के अलावा गुटखा खाकर चबाने वालों में भी अधिकतर युवाओं का ही समावेश रहने की जानकारी सामने आई है.
ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार, प्रशासन द्वारा मार्गदर्शन मुहिम चलाकर ग्रामीण इलाकों के युवाओं को आने वाले समय में नशे की लत से क्या साइड इफेक्ट स्वयं व परिवार पर होता है़ इस के लिए गाइड करने की आवश्यकता है. और इस के लिए नामांकित एनजीओ को आगे आकर कार्य करने की आवश्यकता है. अन्यथा अभी जितनी तादाद नशा करने वालों की ग्रामीण इलाकों में है. आने वाले कुछ ही समय में तादाद उससे डबल होने की आशंका बन सकती है.
अनेक परिवार हो गए बर्बाद और अनेक बर्बादी की कगार पर
नशे की लत ऐसी लत है़ जिस के सेवन करने से सेवन करने वाले की हालत खराब होकर उक्त व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक शक्ति तो समाप्त होती ही है. किंतु इस का सबसे ज्यादा साइड इफेक्ट हंसते खेलते परिवार पर होता है. ऐसे अनेक मामले सामने आए है. नशा करने की वजह से अनेक परिवार टूट कर बिखर गए इतना ही नहीं अनेक महिलाओं ने नशे के कारण को लेकर अपने पति को छोड़ने का निर्णय तक लेने का कार्य तक किया है. आगे इस तरह की स्थितियां ना बने इस के लिए उपाय योजना हेतु मार्गदर्शन मुहिम चलाने की जरूरत है.
ग्रामीण इलाकों में बढ़ते नशे की लत के मामलों को ध्यान में रखकर पुलिस प्रशासन द्वारा अवैध तरीके से इस तरह के व्यवसाय करने वालों को सबक सिखाने के उद्देश्य से कार्रवाई की जाती है. परंतु कानून में इन व्यवसाय करने वालों के लिए सजा का सख्ती से अमल ना होने के कारण कोर्ट के माध्यम से इन व्यवसाय संचालकों को बेल मिल जाती है़ जिस के बाद फिर से अनेक व्यवसाई द्वारा अपना व्यवसाय शुरू किया जाता है.