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अकोला. महानगरपालिका क्षेत्र में कुल 228 मोबाईल टावर्स में से 200 टावर्स अवैध होने की जानकारी अप्रैल माह में सामने आने के बाद मनपा आयुक्त ने सभी अनधिकृत मोबाईल टॉवर्स की जानकारी एकत्रित करने तथा संबंधित कंपनी पर कार्रवाई के आदेश दिए थे. इसलिए इन अनधिकृत टावरों का निर्माण करने वाली कंपनियों में से, केवल रिलायंस ने निगम के तहत 24 करोड़ रुपये का जुर्माना दिया, लेकिन अन्य कंपनियों ने अभी तक जुर्माना नहीं भरा है. ऐसी कंपनियों के खिलाफ कब कार्रवाई होगी? यह सवाल महानगरवासियों द्वारा पूछा जा रहा हैं.

विभिन्न मोबाइल टॉवर कंपनियों ने अपने ग्राहकों को नेटवर्क उपलब्ध कराने के लिए नगरपालिका क्षेत्र में मोबाइल टावर स्थापित किए हैं. इन मोबाइल टावरों के निर्माण के लिए मूल रूप से नगर रचना विभाग की अनुमति की आवश्यकता होती है और निर्दोषता का प्रमाण पत्र भी होता है. यही नहीं, संपत्ति कर का भुगतान विकास शुल्क के साथ करना पड़ता है. लेकिन कुछ कंपनियों ने निगम से अनुमति लिए बिना सीधे मोबाइल टावर खड़ा करके शुरू कर दिया गया है. इ

ससे पहले, नगर निगम ने कई मोबाइल टावरों को सील करने की कार्रवाई की थी, जिन्होंने संपत्ति कर का भुगतान नहीं किया था और नगर रचना विभाग से अनुमति नहीं ली थी. लेकिन पिछले कुछ माह से यह मुहिम बंद है. इस ओर मनपा आयुक्त द्वारा भी अनदेखी हो रही है. कार्रवाई के डर से, रिलायंस द्वारा 24 करोड़ रुपयों का भुगतान मनपा को किया है. लेकिन अभी तक अन्य अनधिकृत मोबाइल टावरों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है.

कई मोबाइल टावर कंपनियों ने संपत्ति कर का भुगतान भी नहीं किया है. जिसके कारण मनपा के राजस्व में करोड़ों रुपये से वंचित रहना पड़ रहा है. जिससे मनपा आयुक्त से इस ओर ध्यान देने की मांग की जा रही है. मनपा द्वारा महानगर की सीमा बढ़ाने से पूर्व कई मोबाइल कंपनियों ने बढ़ाई जा रही सीमा में मोबाइल टावर्स का निर्माण किया है, हालाकि, विस्तार के साढ़े चार साल बीत जाने के बावजूद, मनपा ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है. मनपा आयुक्त संजय कापडणीस से संपर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.