अकोला. जिला परिषद के आरक्षण के मुद्दे पर न्यायालय में याचिका दाखिल की गयी है. भंडारा और गोंदिया की याचिकाएं भी उच्च न्यायालय में दाखिल है. इस संदर्भ में जवाब देने हेतु राज्य सरकार ने एक माह की समयावधि मांगी है. इस कारण जि.प. के आरक्षण के संदर्भ में आज फिर तारीख दी गयी. आगामी सुनवाई 17 नवंबर को रखी गयी है.
धुलिया, नंदुरबार, वाशिम और अकोला इन चार जिलों के जिला परिषदों के चुनाव हेतु जुलाई 2019 में चुनाव कार्यक्रम घोषित किया गया था लेकिन आरक्षण 50 प्रश से अधिक रहने पर मुंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ में याचिका दाखिल की गयी. नागपुर खंडपीठ में भी एक याचिका दाखिल की गयी थी. न्यायालय ने याचिका दाखिल कर चुनाव रद्द किया था. राज्य सरकार ने आरक्षण में बदलाव कर चुनाव लेने हेतु शपथपत्र दाखिल किया था. इसके अतिरिक्त ओबीसी की जनसंख्या के अनुसार आरक्षण निकालने के आदेश दिए गए थे. इस बीच याचिकाकर्ताओं द्वारा उच्चतम न्यायालय में शरण लेने पर उच्चतम न्यायालय ने ओबीसी जनसंख्या के प्रमाण अनुसार आरक्षण घोषित करने के आदेश राज्य सरकार को दिए थे. लेकिन राज्य सरकार दी गयी समयावधि में जानकारी प्रस्तुत नहीं कर सकी. जिससे राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया आदेश रद्द करने की मुश्किल आई थी.
इस बीच उच्चतम न्यायालय ने पुराने आरक्षण के अनुसार चुनाव करवाने के आदेश राज्य चुनाव आयोग को दिए थे. यह प्रक्रिया न्यायालय के आदेश के तहत चलाई गई. इसके बाद आरक्षण के मुद्दों पर 8 फरवरी को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई थी लेकिन बादमें कोरोना संकट के कारण सुनवाई प्रलंबित रही.
भंडारा और गोंदिया जि.प. के चुनाव घोषित किए गए थे, कोरोना के कारण दोनों जिला परिषदों पर प्रशासक नियुक्त किए गए. इन जिलों में भी आरक्षण 50 प्रश से अधिक न हो, यह याचिका कुछ लोगों द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय में दाखिल की गयी है. यह याचिका अब उच्चतम न्यायालय में भेजी गयी है. इस संदर्भ में उच्चतम न्यायालय में ऑनलाइन कामकाज हुआ. इन दो जिला परिषदों के संदर्भ में जवाब देने हेतु सरकार ने एक माह का समय मांगा और अब 6 जि.प. के आरक्षण के संदर्भ में 17 नवंबर को एकत्रित सुनवाई की जाएगी.