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Published: Dec 02, 2020 01:56 PM IST

जज़्बा बिना कोचिंग पहले ही प्रयास में क्रैक की UPSC परीक्षा, चाय वाले का बेटा बना IAS ऑफ़िसर

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

वो कहते है ना “जहाँ चाह, वहाँ राह” ! आज हम आपको चाय वाले के बेटे से IAS ऑफ़िसर बनने वाले ‘देशल दान’ की बेहद प्रेरणादायक कहानी बताने जा रहे हैं। अपने जीवन में चुनौतियों का सामना करते हुए देशल दान ने अपनी कामयाबी का रास्ता खुद तलाशा। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं 2018 बैच के 82 वे रैंककर आईएएस ऑफ़िसर देशल दान की, जिसने हिंदी माध्यम से पढ़ाई की है। फिर उन्होंने इंजीनियरिंग में सफलता हासिल की। उसके बाद एक आईएएस ऑफ़िसर बनें।

फेसबुक पर “हुमंस ऑफ़ एलबीएसएसएनए” नामक एक पेज पर अपनी कहानी साझा करते हुए, उन्होंने लिखा “मैं राजस्थान के जैसलमेर जिले से ताल्लुक रखता हूँ। मेरे पिता किसान हैं और साथ ही एक चाय की दुकान चलाते हैं। मेरी माँ एक अनपढ़ गृहिणी हैं। मैं उनके 7 बच्चों में से एक हूँ। मैंने कक्षा 10 तक सरकारी राज्य बोर्ड हिंदी माध्यम स्कूल में पढ़ाई की। फिर मैं अपनी इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए कोटा गया और IIIT जबलपुर में दाखिला लिया।

मैंने बचपन में आस-पास के कुछ लोगों से राज्य सेवा और केंद्रीय सेवा में भर्ती के बारे में सुना था कि, उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता हैं। उनका समाज में अलग रुतबा और प्रतिष्ठा होता है। उसी दौरान मेरे जीवन में एक ऐसा वाक्य हुआ जिसने मेरी जिंदगी ही बदल डाली। मेरे बड़े भाई ने भारतीय नौसेना में 7 साल तक सेवा दी थी। वे मुझे आईएएस बनते देखना चाहते थे। दुर्भाग्य से साल 2010 में आईएनएस सिंधुरक्षक में एक दुर्घटना में ड्यूटी के दौरान उनकी मौत हो गई। उनके खोने के गम ने मुझे पूरी तरह बदल दिया था। जिसके बाद मैंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू करने का निर्णय लिया। मैंने बिना किसी कोचिंग के पहले प्रयास में UPSC की परीक्षा पास की।  

मैं बेहद गरीब परिवार से आता हूं। जहां कड़ी मेहनत और परिश्रम ही सफलता की चाबी बानी जाती है। मेरे पढ़ाई के लिए मेरे माता-पिता और बड़े भाइयों ने सब कुछ कुर्बान कर दिया। उनका यह बलिदान मुझे अतिरिक्त प्रयास करने के लिए प्रेरित करता रहा। उनके संघर्ष और कठिनाइयों ने मुझे हर वक्त महसूस कराया की पढ़ाई उनकी मेहनत और संघर्ष तुलना में बहुत सरल है। मैं खुद को अन्य लोगों की तुलना में असाधारण नहीं मानता। आज मैं इस पायदान पर जो कुछ भी हूं अपने परिवार के त्याग और तपस्या के कारण ही हूं।

 

उन्होंने आगे लिखा, रिजल्ट के बाद मैं अपने जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए तैयार हूं। IAS ऑफ़िसर के पद पर चयनित होने के बाद पिता से मिलना मेरे लिए  बहुत ही व्यक्तिगत और भावनात्मक अनुभव था। मैं प्रयास करूँगा कि, पूरी निष्ठा से लोगों की सेवा करू। सेवा का हिस्सा बनना कोई विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि एक सार्थक जीवन को सीखने, सेवा करने और जीने का एक शानदार अवसर है।

देशल दान के कामयाबी की कहानी सच में हमें महत्वाकांक्षाओं से भर देती है। हमें कठिनाइयों से संघर्ष करते हुए अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहना सीखना चाहिए, और काफी पीछे मुड़ कर नहीं देखना चाहिए। जीवन में  सफल होने के लिए बड़ो का आशीर्वाद बेहद जरूरी है। जब आप सफल हो जाएं तो अपने कल को कभी न भूलें।