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Published: Jun 03, 2021 12:25 PM IST

World Bicycle Dayविश्व साइकिल दिवस: जानें इसका स्वर्णिम इतिहास

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

-वैष्णवी वंजारी 

एक सर्वोत्तम स्वास्थ्य पूर्ण जीवन पाने के लिए साइकिल (Bicycle) करना हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। इसको ध्यान में रखते हुए साइकिलिंग के प्रति जागरूकता और बढ़ावा लाने के लिए 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 जून को विश्व साइकिल दिवस के तौर पर घोषित किया. इस साल दुनिया में चौथा विश्व साइकिल दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन कोविड-19 के सोशल डिस्टेंसिंग नियमों की वजह से लोग अपने-अपने देशों में साइकिलिंग कार्यक्रम आयोजित नहीं कर पाएंगे। 

साइकिल चलाने के कई सारे फायदे होते हैं। कोरोना के कारण यूं तो लोगों का सड़कों पर निकलना कम हो गया है, लेकिन कई सारे लोग खुद को स्वस्थ रखने के लिए साइकिल का उपयोग करते हैं।  साइकिल चलाने से वजन कम करने में तो सहायता मिलती है, साथ ही मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। पर्यावरण के लिहाज से भी साइकिल चलाना एक बहुत अच्छी क्रिया है, यह वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में सहायक है। साथ ही साइकिल चलाने में किसी प्रकार के ईधन का भी खर्च नहीं होता है। कई लोगों को तो साइकिल चलाने का शौक भी होता है, इसे शरीर के लिए की जाने वाली श्रेष्ठ कसरतों में से एक माना जाता है इसलिए साइकिल चलाते रहना चाहिए।

भारत में साइकिल का इतिहास

भारत में भी साइकिल के पहियों ने आर्थिक तरक्की में अहम भूमिका निभाई. 1947 में आजादी के बाद अगले कई दशक तक देश में साइकिल यातायात व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रही. खासतौर पर 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल थी। यह व्यक्तिगत यातायात का सबसे ताकतवर और किफायती साधन था। गांवों में किसान साप्ताहिक मंडियों तक सब्जी और दूसरी फसलों को साइकिल से ही ले जाते थे। दूध की सप्लाई गांवों से पास से कस्बाई बाजारों तक साइकिल के जरिये ही होती थी। डाक विभाग का तो पूरा तंत्र ही साइकिल से चलता था. आज भी कुछ पोस्टमैन साइकिल से चिट्ठियां बांटते हैं। 

जानिए क्या हैं साइकिल चलाने के फायदे