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Published: Mar 04, 2021 07:39 PM IST

रिपोर्टपेट्रोल, डीजल को GST में लाने से भाव घटकर रु 75, 68 लीटर तक आ सकते हैं: SBI इकोनॉमिस्ट

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

मुंबई. पेट्रोल को यदि माल एवं सेवाकर (Goods and Services Tax) (जीएसटी) के दायरे में लाया जाता है तो इसका खुदरा भाव (Retail Price) इस समय भी कम होकर 75 रुपये प्रति लीटर तक आ सकता है। एसबीआई इकोनॉमिस्ट (SBI Economist) ने बृहस्पतिवार को एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में यह बात प्रस्तुत की। केंद्र और राज्य स्तरीय करों और कर-पर-कर के भारत से भारत में पेट्रोलियम पदार्थों (Petroleum Products) के दाम दुनिया में सबसे उच्च स्तर पर बने हुए हैं।

जीएसटी में लाने पर डीजल का दाम भी कम होकर 68 रुपये लीटर पर आ सकता है। ऐसा होने से केंद्र और राज्य सरकारों को केवल एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा जो कि जीडीपी का 0.4 प्रतिशत है। यह गण्ना एसबीआई इकोनॉमिस्ट ने की है जिसमें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम को 60 डॉलर प्रति बैरल और डालर- रुपये की विनिमय दर को 73 रुपये प्रति डॉलर पर माना गया है। 

वर्तमान में प्रतयेक राज्य पेट्रोल, डीजल पर अपनी जरूरत के हिसाब से मूल्य वर्धित कर (वैट) लगाता है जबकि केन्द्र इस पर उत्पाद शुल्क और अन्य उपकर वसूलता है। इसके चलते देश के कुछ हिस्सों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये लीटर तक पहुंच गये हैं। ऐसे में पेट्रोलियम पदार्थों पर ऊंची दर से कर को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है जिसकी वजह से ईंधन महंगा हो रहा है। एसबीआई इकोनोमिस्ट ने कहा कि जीएसटी प्रणाली को लागू करते समय पेट्रोल, डीजल को भी इसके दायरे में लाने की बात कही गई थी लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है। पेट्रोल, डीजल के दाम इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत लाने से इनके दाम में राहत मिल सकती है। 

उनका कहना है कि, ‘‘केन्द्र और राज्य सरकारें कच्चे तेल के उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की इच्छुक नहीं है क्योंकि पेट्रोलियम उत्पादों पर बिक्री कर, वैट आदि लगाना उनके लिये कर राजस्व जुटाने का प्रमुख स्रोत है। इस प्रकार इस मामले में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है जिससे कि कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जा सकता है।” 

कच्चे तेल के दाम और डॉलर की विनिमय दर के अलावा इकोनॉमिस्ट ने डीजल के लिये परिवहन भाड़ा 7.25 रुपये और पेट्रोल के लिये 3.82 रुपये प्रति लीटर रखा है, इसके अलावा डीलर का कमीशन डीजल के मामले में 2.53 रुपये और पेट्रोल के मामले में 3.67 रुपये लीटर मानते हुये पेट्रोल पर 30 रुपये और डीजल पर 20 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से उपकर और 28 प्रतिशत जीएसटी की दर से जिसे केन्द्र और राज्यों के बीच बराबर बांटा जाएगा, इसी आधार पर इकोनॉमिस्ट ने अंतिम मूल्य का अनुमान लगाया है। 

इसमें कहा गया है कि सालाना डीजल के मामले में 15 प्रतिशत और पेट्रोल के मामले में 10 प्रतिशत की खपत वृद्धि के साथ यह माना गया है कि जीएसटी के दायरे में इन्हें लाने से एक लाख करोड़ रुपये का वित्तीय प्रभाव पड़ सकता है। (एजेंसी)