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Published: Jan 03, 2024 04:25 PM IST

Adani Hindenburg Caseअडानी ग्रुप को SC से राहत, हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच के लिए एसआईटी बनाने की मांग खारिज, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अडाणी समूह (Adaini Group) को बड़ी राहत देते हुए, समूह द्वारा शेयर मूल्य में हेराफेरी किए जाने के आरोपों की जांच विशेष जांच दल (SIT) से कराने से बुधवार को इनकार कर दिया। न्यायालय ने साथ ही बाजार नियामक सेबी से दो लंबित मामलों की जांच तीन माह के भीतर करने के निर्देश दिए।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि अदालत को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की नियामक नीतियों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। पीठ ने साथ ही कहा कि जांच का जिम्मा किसी और को सौंपे जाने की जरूरत नहीं है। शीर्ष अदालत ने साथ ही कहा कि सेबी ने अडाणी समूह पर आरोपों से जुड़े 24 में से 22 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘सेबी की ओर से सॉलीसिटर जनरल ने जो आश्वासन दिया है उस पर गौर करते हुए हम सेबी को दो लंबित जांच तेजी से पूरी करने, विशेषत: तीन माह के भीतर करने के आदेश देते हैं।” ‘ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट’ (ओसीसीआरपी) पर एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश उस रिपोर्ट को भी पीठ ने खारिज किया जिसमें कहा गया था कि सेबी जांच के प्रति उदासीन है।” पीठ ने कहा ‘‘किसी तीसरे पक्ष के संगठन के आरोपों की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के किसी भी प्रयास के बिना उसे निर्णायक प्रमाण नहीं माना जा सकता ।”

शीर्ष अदालत ने उन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया जिनमें आरोप लगाया गया था कि अडाणी समूह द्वारा शेयर मूल्यों में हेराफेरी की गई है। प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सेबी को कानून के अनुरूप अपनी जांच तार्किक नतीजे तक पहुंचानी चाहिए। पीठ ने कहा,”मामले के तथ्यों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि जांच को सेबी से लेकर किसी और को सौंपा जाना चाहिए। किसी उपयुक्त मामले में इस अदालत के पास किसी अधिकृत एजेंसी की ओर से की जा रही जांच को विशेष जांच दल को या केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को सौंपने का अधिकार है। इस प्रकार की शक्तियों का इस्तेमाल अभूतपूर्व परिस्थितियों में किया जाता है…।”

पीठ ने कहा कि अदालत द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति के कुछ सदस्यों के खिलाफ ‘‘हितों के टकराव” का आरोप निराधार है और खारिज किया जाता है। पीठ ने कहा कि केंद्र और सेबी रचनात्मक रूप से विशेषज्ञ समिति के सुझावों पर विचार करें, उसकी रिपोर्ट का अध्ययन करें और नियामक ढांचे को मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। ये जनहित याचिकाएं वकील विशाल तिवारी, एम एल शर्मा, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और अनामिका जायसवाल ने दाखिल की थीं और अदालत ने इन पर फैसला पिछले वर्ष 24 नवंबर को सुरक्षित रख लिया था। अडाणी समूह ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह सभी कानूनों का पालन करता है।