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Published: Sep 16, 2020 06:31 PM IST

आरबीआई अर्थव्यवस्थाअर्थव्यवस्था ने अभी नहीं पकड़ी है रफ्तार, वृद्धि को समर्थन देने के लिए आरबीआई है तैयार: गवर्नर दास

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नयी दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयास में लगे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार अभी पूरी गति में नहीं पहुंच पाया है। ऐसे में केंद्रीय बैंक वृद्धि को समर्थन देने के लिए जरूरत पड़ने पर कदम उठाने को तैयार है। उन्होंने उद्योग संगठन फिक्की के एक कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए शक्तिकांत दास ने कहा कि सरकार द्वारा जारी किए गए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े कोविड-19 के अर्थव्यवस्था पर पड़े असर को दर्शाते हैं।

कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए सरकार ने मार्च के अंत में देशव्यापी सख्त लॉकडाउन लागू किया था, जिसके चलते अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था का आकार 23.9 प्रतिशत घट गया। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, कृषि गतिविधियों के संकेतक, विनिर्माण के लिए पीएमआई और बेरोजगारी पर कुछ निजी अनुमान चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में स्थिरीकरण आने की ओर इशारा कर रहे हैं, जबकि कुछ अन्य क्षेत्रों में भी संकुचन कम हो रहा है।” दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था ने अभी तक अपनी पूरी रफ्तार नहीं पकड़ी है, यह धीरे-धीरे ही अपनी पुरानी स्थिति में लौटेगी।

उन्होंने निजी क्षेत्र को आगे बढ़कर अर्थव्यवस्था में सुधार की गति बढ़ाने में योगदान करने को कहा। उन्होंने कहा, ‘‘सुधार ने अभी पूरी गति नहीं पकड़ी है, हालांकि, कुछ क्षेत्रों में जून और जुलाई के दौरान तेजी देखने को मिली। सभी संकेतकों को मिलाकर देखें तो सुधार धीरे-धीरे आने का अनुमान है, क्योंकि अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने की कोशिशों के साथ ही उसे संक्रमण के बढ़ते मामलों से भी जूझना पड़ रहा है।” इसके साथ ही दास ने उद्योग जगत को भरोसा दिया कि आरबीआई इस लड़ाई के लिए तैयार है और नकदी, वृद्धि तथा कीमतों में नियंत्रित बढ़ोतरी का समर्थन करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

दास ने कहा कि आरबीआई की ओर से लगातार बड़ी मात्रा में नकदी की उपलब्धता कराये जाने से सरकार के लिए कम दर पर और बिना किसी परेशानी के बड़े पैमाने पर उधारी सुनिश्चित हो पाई है। पिछले एक दशक में यह पहला मौका है जब उधारी लागत इतनी कम हुई है। उन्होंने कहा कि अत्यधिक नकदी की उपलब्धता से सरकार की उधारी लागत बेहद कम बनी हुई है और इस समय बॉन्ड प्रतिफल पिछले 10 वर्षों के निचले स्तर पर हैं।

रिजर्व बैंक गवर्नर ने कोविड- 19 के बाद अर्थव्यवस्था की गति तेज करने के लिये निजी क्षेत्र को मानव संसाधन एवं शिक्षा, निर्यात, अनुसंधान एवं नवोन्मेष, खाद्य प्रसंस्करण और पर्यटन क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिये कहा है। उन्होंने कहा है कि पर्यटन क्षेत्र में व्यापक संभावनायें हैं और निजी क्षेत्र को इसका लाभ उठाना चाहिये।

उन्होंने कहा, ‘‘हम बेहद सावधानी से बाजारों की निगरानी कर रहे हैं। जरूरत होने पर और उपाय किए जाएंगे। मैंने पहले भी अपने बयानों में कहा था कि आरबीआई पूरी तरह से तैयार है… मैंने कहा था कि आरबीआई लड़ाई के लिए तैयार है और जो भी उपाय जरूरी होंगे, आरबीआई उन्हें उठाएगा।” उन्होंने कहा कि ऋण पुनर्गठन योजना को तैयार करते समय जमाकर्ताओं के हितों और वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखा गया है। (एजेंसी)