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Published: Sep 15, 2021 12:11 PM IST

Swiggy-Zomatoअब जेब पर भारी पड़ सकता है Swiggy-Zomato से खाना मंगाना, GST काउंसिल ने की ये बड़ी सिफारिश

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नयी दिल्ली. अब ऑनलाइन फूड डिलिवरी (Online Food delivery) आने वाले दिनों में थोड़ी और महंगी हो सकती है।  अब इसको लेकर GST काउंसिल की बैठक में इस पर अब विचार किया जाएगा।  दरअसल कमिटी के फिटमेंट पैनल ने फूड डिलिवरी एप्स को कम से कम 5% GST के दायरे में लाने की सिफारिश भी की है।  अब इसके चलते Swiggy, Zomato आदि से खाना मंगाना महंगा पड़ सकता है।  अब आगामी शुक्रवार को GST काउंसिल कमिटी की मीटिंग होगी।  मीटिंग के अजेंडा में इस पर भी बात करना शामिल होगा। 

हो सकता है ‘टैक्स’ में इज़ाफ़ा, क्या बढ़ेंगे दाम

बता दें की GSTकाउंसिल ने ‘फ़ूड डिलीवरी एप्स’ पर कम से कम 5% के दायरे में लाने की सिफारिश करी है। अब इसी सिलसिले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में आगामी 17 सितंबर, 2021 को जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक होगी। सूत्रों के अनुसार अगर डिलिवरी एप्स को कम से कम 5% GST के दायरे में लाया गया तो “टैक्स” में इज़ाफ़ा होगा और इससे दाम भी बढ़ेंगे। 

नई कीमतें 1 जनवरी 2022 से हो सकती है लागू 

दरअसल 2019-20 और 2020-21 में 2 हजार करोड़ रुपये के GST घाटे का अनुमान लगाते हुए, फिटमेंट पैनल ने सिफारिश की है कि फूड एग्रीगेटर्स को भी अब ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के रूप में वर्गीकृत किया जाए और संबंधित रेस्तरां की ओर से इस पर भी GST का भुगतान किया जाए। पता हो कि कई रेस्तरां अब भी GST का भुगतान नहीं कर रहे हैं, जबकि कुछ पंजीकृत भी नहीं हैं। इसी के चलते अब रेट फिटमेंट पैनल ने सुझाव दिया है कि यह बदलाव आगामी 1जनवरी 2022 से भी प्रभावी हो सकता है।

SWIGGY ने माना की ग्राहकों से वसूल रहे ज्यादा कीमत 

बता दें कि Swiggy कंपनी पहले ही ये मान चुकी है कि वह अपने ग्राहकों से रेस्टोरेंट द्वारा दिए जा रहे मूल्य से ज्यादा चार्ज करती हैं। यानि कि जो खाना आप ऑडर करते हैं वह खाना आपको रेस्टोरेंट पर जाकर कम कीमत में मिल सकता है। कीमत में हेराफेरी के साथ ये कंपनियां आपसे अपना डिलिवरी चार्ज भी लेती हैं, जिससे आपका खाना और मंहगा हो जाता है।

गौरतलब है कि बेंगलुरु के एक व्यक्ति के एक ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दावा किया कि Zomato या Swiggy मेनू में फूड आइटम की कीमतें रेस्टोरेंट में उपलब्ध वस्तु की वास्तविक कीमत से 25-50 प्रतिशत अधिक होती है। इस बात पर सफाई देते हुए Swiggy ने कहा कि रेस्तरां की नीतियों के कारण कीमतें ऑनलाइन और ऑफलाइन अलग हो सकती हैं। जिससे यह साफ़ जाहिर होता है कि शायद फूड डिलिवरी एप्स को GST के दायरे में लाना ठीक होगा।