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Published: Dec 16, 2020 10:20 PM IST

मांगसभी गारमेंट पर GST दर 5% हो, गारमेंट इंडस्ट्री की सरकार से गुहार

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

मुंबई. ऊंची जीएसटी (GST) दर, सस्ते आयात (import), महंगी बिजली दरों और सरकारी योजनाओं की छूट ना मिलने से गारमेंट इंडस्ट्री (Garment Industry) का विकास प्रभावित हो रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र सहित देश भर के छोटे गारमेंट निर्माताओं पर पड़ रहा है। इस वजह से गारमेंट इंडस्ट्री अब भी कोवि़ड संकट से उबर नहीं पा रही है।

उद्योग संस्था आशीष डोमेस्टिक गारमेंट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ADGMA) ने केंद्र सरकार से सभी गारमेंट पर जीएसटी की दर एक समान 5% रखने की मांग की है और बंग्लादेश-चीन से हो रहे भारी सस्ते आयात पर तत्काल अंकुश लगाने का अनुरोध किया है। साथ ही महाराष्ट्र सरकार से बिजली दरों में कमी करने का आग्रह किया है।

नई टेक्सटाइल पॉलिसी लाए सरकार

छोटे और मझौले परिधान निर्माताओं की संस्था ‘एडीजीएमए’ ने केंद्र सरकार को अपने बजट पूर्व ज्ञापन में कहा है कि 12% की ऊंची जीएसटी दर गारमेंट इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी बाधा है। वर्तमान में 1000 रुपए से अधिक बिक्री मूल्य वाले गारमेंट पर 12% की ऊंची दर है, जबकि इससे कम मूल्य वाले गारमेंट पर 5% जीएसटी दर है। साथ ही कॉटन यार्न, सिंथेटिक यार्न, फैब्रिक्स आदि पर भी 5% दर है। इस उद्योग में अधिकांश लघु और मझौले उद्यमी है। अलग-अलग दरें होने से इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड (Refund) में काफी रकम फंस जाती है। इसलिए सभी गारमेंट पर जीएसटी की दर एक समान 5% होना जरूरी है।  

टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग देश में बड़ा रोजगार प्रदाता है और कुल कारोबार अभी 140 अरब डॉलर है, उसे 2025 तक बढ़ाकर 280 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार को प्रगतिशील, निर्यात उन्मुख, रोजगार उन्मुख और उत्पादन उन्मुख संकलित नई टेक्सटाइल पॉलिसी घोषित करनी चाहिए। वर्ष 2000 के बाद कोई नई पॉलिसी घोषित नहीं हुई है।

बंग्लादेश से हो रहा भारी आयात

एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबूभाई आहिर ने कहा कि बंग्लादेश, श्रीलंका और चीन से भारी सस्ते आयात से घरेलू उद्योग नुकसान में आ रहे हैं। सबसे ज्यादा बंग्लादेश से नीटेड होजरी गारमेंट, वूमेन्स वेयर का आयात हो रहा है। चीन के कपड़े भी बंग्लादेश के रास्ते भारत में आयात हो रहे हैं। इसके अलावा ड्यूटी फ्री यूज्ड गारमेंट यानी पुराने कपड़े भी बड़ी मात्रा में भारत में डम्प हो रहे हैं। इस कारण भारतीय इंडस्ट्री पर दोहरी मार पड़ रही है। भारतीय इकाइयां क्षमता से कम उत्पादन कर नुकसान में आ रही हैं। ड्यूटी फ्री आयात पर तो सरकार को तुरंत प्रतिबंध लगाना चाहिए। क्योंकि पुराने कपड़ों के नाम पर नए कपड़े भी आयात किए जा रहे हैं।

महाराष्ट्र में बिजली सबसे महंगी

एसोसिएशन का कहना है कि महाराष्ट्र में बिजली की दर देश में सबसे ज्यादा है। यहां बिजली दर 11।70 रुपए प्रति यूनिट है। किसी राज्य में इतनी दर नहीं है। इतनी महंगी बिजली के कारण गारमेंट निर्माण की लागत बहुत अधिक बढ़ गई है। क्योंकि मशीनीकरण होने के बाद अब गारमेंट निर्माण में बिजली खपत ज्यादा हो रही है। कुल लागत में 20% तक हिस्सा बिजली खर्च पर हो रहा है। ऊंची दरों के कारण महाराष्ट्र में नई इकाइयां आने से कतरा रही हैं। लिहाजा राज्य सरकार को बिजली दरों में कमी कर टेक्सटाइल उद्योग को प्रोत्साहन देना चाहिए।