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Published: Jun 24, 2020 02:36 PM IST

भारत अर्थव्यवस्थाचालू वित्त वर्ष में 5.3 प्रतिशत सिकुड़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था: इंडिया रेटिंग्स

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष 2020-21 में 5.3 प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान है। देश के इतिहास में यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की सबसे निचली वृद्धिदर होगी। रेटिंग एजेंसी ने बुधवार को कहा कि अर्थव्यवस्था में संकुचन का यह छठा अवसर होगा। रेटिंग एजेंसी की रपट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह से उत्पादन की रफ्तार और स्तर पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार श्रृंखला टूट गई है। विमानन, होटल और आतिथ्य क्षेत्र में गतिविधियां पूरी तरह ठप (हालांकि, अब कुछ गतिविधियां शुरू हो रही हैं) हो गई हैं।

ऐसे में पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने की उम्मीद नहीं है। रपट में कहा गया है कि पूरे वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी ही, प्रत्येक तिमाही के दौरान भी अर्थव्यवस्था नीचे आएगी। हालांकि, एजेंसी का मानना है कि अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी और पांच से छह प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी। रपट कहती है कि आधार प्रभाव तथा घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति सामान्य होने की वजह से अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था वृद्धि दर्ज करेगी।

इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5.3 प्रतिशत की गिरावट आएगी। रपट कहती है कि यह देश के इतिहास में सबसे निचली जीडीपी की वृद्धि दर होगी। भारत के जीडीपी आंकड़े 1950-51 से उपलब्ध हैं। इसके अलावा यह छठा अवसर होगा जबकि अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी। इससे पहले वित्त वर्ष 1957-58, 1965-66, 1966-67, 1972-73 और 1979-80 में भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट आई थी। इससे पहले वित्त वर्ष 1979-80 में आर्थिक वृद्धि दर सबसे निचले स्तर पर गयी थी। तब देश की आर्थिक वृद्धि दर शेन्य से 5.2 प्रतिशत नीचे थी। सरकार ने कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए 12 मई, 2020 को 20.97 लाख करोड़ रुपये यानी जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी।

हालांकि, इंडिया रेटिंग्स की गणना के अनुसार इस पैकेज का सीधा वित्तीय प्रभाव सिर्फ 2.145 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 1.1 प्रतिशत है। इसमें मौद्रिक उपाय और आम बजट के मौजूदा प्रस्ताव शामिल नहीं हैं। रपट में कहा गया है कि आर्थिक पैकेज में ऋण और नकदी प्रबंधन के जो उपाय किए गए हैं और साथ में रिजर्व बैंक के पूर्व में घोषित उपायों से अर्थव्यवस्था के आपूर्ति पक्ष के मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी। रपट कहती है कि कोविड-19 से संबंधित लॉकडाउन से पहले से ही भारतीय अर्थव्यवस्था में मांग पक्ष की समस्या थी। रपट में कहा गया है कि लॉकडाउन और उसके अर्थव्यवस्था और आजीविका पर प्रभाव से उपभोक्ता मांग और प्रभावित हुई है।(एजेंसी)