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Published: Aug 17, 2022 04:29 PM IST

Interviewरूपारेल का अफोर्डेबल लक्जरी हाउसिंग पर फोकस: संजीव चंदीरमानी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

मुंबई: वर्ष 2000 में स्थापित रूपारेल रियल्टी (Ruprel Realty) मुंबई महानगर (MMR) की एक प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी (Real Estate Company) है, जो 50 लाख से लेकर 5 करोड़ रुपए तक के फ्लैट बनाती है और अफोर्डेबल लक्जरी हाउसिंग (Affordable Luxury Housing) सेगमेंट में अग्रणी स्थान रखती है। अपनी मजबूत इन-हाउस कंस्ट्रक्शन टीम के साथ कंपनी आवासीय (Residential) के साथ-साथ वाणिज्यिक (Commercial) परियोजनाओं का विकास कर रही है और क्वालिटी कंस्ट्रक्शन के साथ समय पर डिलीवरी पर विशेष प्राथमिकता देती है। कंपनी ने अब तक 20 लाख वर्ग फुट से अधिक संपत्ति विकसित कर बिक्री की है और 40 लाख वर्ग फुट स्पेस निर्माण के विभिन्न चरणों में है और वादे के अनुसार वितरित कर हजारों ग्राहकों का घर का सपना साकार किया जाएगा।

 रूपारेल रियल्टी मुंबई में स्लम रिडेवलपमेंट (Slum Redevelopment) सेगमेंट की भी बड़ी प्लेयर है। इस तरह रूपारेल रियल्टी मुंबई और उपनगरों में आधुनिक सुविधाओं युक्त घरों का निर्माण कर इसे विश्वस्तरीय शहर बनाने में अपना योगदान दे रही है। मुंबई के रियल एस्टेट मार्केट और रूपारेल रियल्टी की प्रगति एवं योजनाओं के संबंध में रूपारेल रियल्टी के मुख्य परिचालन अधिकारी (COO) संजीव चंदीरमानी (Sanjeev Chandiramani) से वाणिज्य संपादक विष्णु भारद्वाज की बातचीत हुई। पेश हैं उसके मुख्य अंश:-

ऐसा है कि रियल एस्टेट के लिए कोई भी इन्सेटिव (Incentive) यदि सरकार देती है तो उसका फायदा ग्राहक, इंडस्ट्री और सरकार, सभी को होता है। जैसे कोविड संकट के बाद पहले सरकार ने स्टैम्प ड्यूटी (Stamp Duty) छूट दी। जिससे ग्राहकों में उत्साह का संचार हुआ और घरों की रिकॉर्ड बिक्री हुई। क्योंकि घरों की डिमांड तो सभी जगह है। ग्राहक को टैक्स छूट मिली तो वे घर खरीदने के लिए प्रेरित हुए। रिकॉर्ड बिक्री से जहां पूरे महाराष्ट्र के रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) को बूस्ट मिला, वहीं सरकार के राजस्व (Revenue) में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। रियल एस्टेट सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता भी है। जब पूरी इंडस्ट्री के विकास मे तेजी आई तो लाखों लोगों को रोजगार (Employment) भी मिला। इस तरह सभी को फायदा हुआ। उसके बाद प्रीमियम चार्ज में भी राहत दी गयी तो उसका भी फायदा हुआ। बहुत से प्रोजेक्ट को गति मिल गयी। हमारा मानना है कि यदि सरकार रियल एस्टेट को भी अन्य इंडस्ट्री की तरह समय-समय पर टैक्स छूट और प्रोत्साहन देती रहे तो सभी पक्षों को फायदा होगा, जिससे राज्य और देश का आर्थिक विकास (Economic Development) भी तेज होगा।

इस समय हम मुंबई और उपनगरों में 18 प्रोजेक्ट्स का निर्माण कर रहे हैं। परेल में 5 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। रूपारेल रियल्टी परेल में 73 मंजिली एरियाना, 63 मंजिली आइकन और 42 मंजिली नोवा जैसी गगनचुंबी इमारतें बना रही है। कांदिवली में 4 प्रोजेक्ट्स का निर्माण हो रहा है। जबकि सांताक्रूज ईस्ट और वेस्ट में हम जल्द नए प्रोजेक्ट्स लॉन्च करेंगे। दादर और चेम्बूर में भी बड़े प्रोजेक्ट पर काम जारी है।

निश्चित रूप से काफी बेनिफिट मिलेगा। ऐसा है कि किसी भी शहर के विकास के लिए सर्वप्रथम वहां का इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure) अच्छा होना बहुत जरूरी है। इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा होने पर ही लोग वहां रहना पसंद करते हैं और घरों की मांग बढ़ती है। मुंबई को यदि विश्वस्तरीय शहर बनाना है इंफ्रास्ट्रक्चर भी विश्वस्तरीय करना आवश्यक है और सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर भी रही है। पूरे महानगर में मेट्रो रेल नेटवर्क का जाल बिछाया जा रहा है। मोनो रेल भी शुरू हो गयी है। अब शिवड़ी न्हावा शेवा सी-लिंक तथा कोस्टल रोड बनाई जा रही है। इस तरह जैसे-जैसे मुंबई के जिन इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा हो रहा है, वहां रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग तेज हो रही है।

इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से प्रॉपर्टी वैल्यू (Property Value) भी बढ़ती ही है। पहले मुंबई के अलग-अलग इलाकों की प्रॉपर्टी कीमतों में बहुत ज्यादा अंतर होता था। दक्षिण मुंबई में सबसे ज्यादा तो उत्तर-पूर्व मुंबई में काफी कम। पहले दक्षिण मुंबई, पाली हिल, बांद्रा, अंधेरी, बीकेसी जैसे कुछ 4-5 इलाके ही प्राइम लोकेशन माने जाते थे, लेकिन अब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट होने से कई नए प्राइम लोकेशन बन रहे हैं। नए इलाकों में भी प्रॉपर्टी वैल्यू बढ़ रही है। क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होने से कहीं भी आना-जाना आसान होता जा रहा है। अर्थात दूरी कम हो रही है। इससे प्रॉपर्टी कीमतों में अंतर भी कम हो गया है। रूपारेल रियल्टी के दादर, परेल और कांदीवली प्रोजेक्ट्स में कीमत अंतर 10 से 15 प्रतिशत का ही है।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण आज उन्हीं डेवलपर्स के प्रोजेक्ट्स की वैल्यू और डिमांड है, जो आधुनिक सुविधाओं के साथ क्वालिटी कंस्ट्रक्शन करते हैं, टाइम पर डिलीवरी देते हैं और कीमत किफायती रखते हैं। रूपारेल रियल्टी यही नीति अपना रही है। हम सुपर लक्जरी नहीं बल्कि अफोर्डेबल लक्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का निर्माण करते हैं यानी हम 50 लाख से लेकर 5 करोड़ रुपए तक के वन बीएचके, टू बीएचके और थ्री बीएचके फ्लैट बनाते हैं। इसलिए हमारे हर प्रोजेक्ट में लॉन्च के साथ ही अच्छी बुकिंग भी हो रही है। कांदीवली में 70 लाख रुपए कीमत पर वन बीएचके वाले ‘ऑप्टिमा’ प्रोजेक्ट में सभी 1500 फ्लैट बिक चुके हैं। परेल में वन बीएचके और टू बीएचके, दोनों की अच्छी मांग है। दादर में 200 टू बीएचके वाले ‘न्यू मिलिनियर’ प्रोजेक्ट में 60 प्रतिशत से ज्यादा बुकिंग हो गयी है। इस तरह हमारा कारोबार भी बढ़ रहा है और उसके साथ हम रोजगार भी बढ़ा रहे हैं। रूपारेल रियल्टी के पास अब 500 लोगों की टीम हो गयी है, जो पहले 200 लोगों की थी। कॉस्ट कंट्रोल कर हम प्राइस अफोर्डेबल रखते हैं।

जैसा कि मैंने पहले कहा कि मुंबई में इंफ्रा विकास के साथ हर तरह के घरों की मांग बढ़ रही है। वेस्टर्न, सेंट्रल, ईस्टर्न सभी इलाकों में वन, टू और थ्री बीएचके की अच्छी मांग है। फर्स्ट टाइम यानी पहली बार घर खरीदने वाले ग्राहक हैं तो साथ ही बढ़ती इनकम के कारण अपग्रैड करने वाले यानी बड़े घर खरीदने वाले ग्राहक भी हैं। सभी सेगमेंट में अच्छी मांग है। इसलिए रूपारेल रियल्टी वेस्टर्न, सेंट्रल और ईस्टर्न मुंबई में आधुनिक सुविधाओं के साथ वन, टू और थ्री बीएचके फ्लैट बना रही है। कोविड के बाद लोगों बड़े घरों की मांग तेजी से बढ़ी है।

रूपारेल रियल्टी के विकास की एक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि हमने स्लम रिडेवलपमेंट कर 3,000 से अधिक परिवारों को आशियाना प्रदान कर उनके जीवन को बदल कर उनके पुनर्वास में मदद की है। इसमें से परेल में ही हमने 1,000 से अधिक फ्लैट रिडेवलपमेंट में दे दिए हैं। इस कारण परेल तो ‘रूपारेल’ के रूप में लोकप्रिय हो रहा है। क्योंकि हम अपने स्लम रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट में भी क्वालिटी कंस्ट्रक्शन और टाइम पर डिलीवरी की प्रतिबद्धता के साथ इस तरह की सुविधाएं विकसित करते है कि जिससे बिल्डिंग 10-12 साल में ही मेंटेनेंस फ्री हो जाए।

बिल्कुल। तेजी से कंस्ट्रक्शन करना तो डेवलपर के हाथ में है, लेकिन प्रोजेक्ट अप्रूवल (Project Approval) तो हमारे हाथ में नहीं है। अप्रूवल में देरी एक बड़ी समस्या है और इससे ब्याज बोझ बढ़ता है यानी अनावश्यक रूप से लागत बढ़ती है। यदि सरकारी विभागों से अप्रूवल जल्दी मिले तो निर्माण लागत भी घटेगी और लोगों को अफोर्डबल कीमतों पर घर उपलब्ध होंगे। हमारा सरकार से आग्रह है कि वह नॉन क्रिटिकल अप्रूवल के लिए तो टाइम लिमिट फिक्स कर प्रोजेक्ट को जल्दी मंजूरी प्रदान करें।