बिज़नेस
Published: Apr 09, 2021 09:58 PM ISTSteel Pricesस्टील के दाम नई ऊंचाई पर, सांठ-गांठ से कीमतें बढ़ाकर मुनाफाखोरी करती कंपनियां
- 5,000 से 7,000 रुपए प्रति टन हुआ महंगा
- 60% तक बढ़ाई कीमतें
मुंबई. सीमेंट (Cement) कंपनियों के साथ-साथ स्टील (Steel) कंपनियां भी आपसी सांठ-गांठ (Cartel) से लगातार कीमतें बढ़ाकर मुनाफाखोरी में जुटी हुई हैं। भले ही कोविड के बढ़ते मामलों की वजह से मांग प्रभावित हो रही है, लेकिन इसके बावजूद स्टील कंपनियों ने विभिन्न उत्पादों पर फिर 5,000 से 7,000 रुपए प्रति टन बढ़ा दिए हैं।
यह 2021 में अब तक तीसरी मूल्य वृद्धि है और जुलाई 2020 से लेकर अब तक 11वीं बढ़ोत्तरी है। इस तरह विगत 10 महीनों में स्टील 50 से 60% तक महंगा हो चुका है। बढ़ते भावों पर मांग घट रही है और छोटे व्यापारियों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। जबकि कंपनियां और बड़े व्यापारी मिलकर भारी मुनाफा बटोर रहे हैं।
75,000 रुपए टन एचआर कॉयल
स्टील व्यापारियों के मुताबिक, बुधवार को पहले बड़ी कंपनियों ने मूल्य वृद्धि की। उनका अनुसरण करते हुए तुरंत ही छोटी स्टील मिलों ने भी भाव बढ़ा दिए हैं। मूल्य वृद्धि के बाद फैब्रिकेशन और स्ट्रक्चर निर्माण कार्यों में उपयोग होने वाला एचआर कॉयल (HRC) यानी एमएस प्लेट के दाम बढ़कर 75,000 रुपए प्रति टन (18% GST सहित) की नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं, जो पहले 68,000 रुपए पर थे। जबकि इंफ्रा परियोजनाओं (Infra Projects) में अधिक उपयोग होने वाले एमएस एंगल्स-चैनल्स (MS Angles) के दाम बढ़ाकर 58,000 रुपए प्रति टन कर दिए गए हैं, जो पहले 52,000 रुपए पर थे।
62,5000 रुपए हुआ टीएमटी बार
भवन निर्माण और इंफ्रा परियोजनाओं में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाले टीएमटी बार (TMT Bars) यानी लोहे के सरियों के दाम अब 57,500 रुपए से लेकर 62,5000 रुपए प्रति टन तक पहुंच गए हैं। टीएमटी बार बनाने वाली बड़ी कंपनियों यानी टाटा, जेएसडब्ल्यू, विजाग स्टील ने दाम 57,500-58,000 रुपए से बढ़ाकर 62,000-62,500 रुपए कर दिए हैं। जबकि छोटी स्टील मिलों के रोलिंग बार 57,500 रुपए हो गए हैं। जनवरी 2021 में टीएमटी बार के दाम 49,000 से 54,000 रुपए की रेंज में थे।
ऊंचे भावों पर मांग कमजोर
छोटे व्यापारियों का कहना है कि सभी स्टील कंपनियां कार्टेल बनाकर मुनाफाखोरी कर रही हैं। वे कृत्रिम शॉर्टेज पैदा कर कीमतें बढ़ा रही हैं। जबकि मांग उतनी नहीं है। कोविड के मामले बढ़ने के कारण मांग उल्टे कमजोर पड़ रही है। ग्राहक भी ऊंचे भावों पर माल लेने से कतरा रहे हैं। ऐसे में यह मूल्य वृद्धि बिलकुल अनुचित है। सरकार स्टील कंपनियों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है, जिससे कंपनियों की मनमानी बढ़ती जा रही है। स्टील महंगा होने से बिल्डर और ठेकेदार भी परेशान हैं। क्योंकि उनकी निर्माण लागत बढ़ रही है।
तीन दशकों में पहली बार इतनी बड़ी तेजी
वरिष्ठ व्यवसायी मनोज अग्रवाल ने कहा कि पिछले तीन दशकों में स्टील बाजार में कभी इतनी बड़ी इकतरफा तेजी नहीं आई है। कंपनियां बेहिसाब दाम बढ़ा रही है, जो पूरी तरह अनुचित है। इससे छोटे व्यापारी भारी नुकसान में आ रहे हैं क्योंकि हम अपने ग्राहकों से वर्तमान भाव बिक्री के सौदे करते हैं, लेकिन बाद में आपूर्ति के समय कंपनियां कीमतें बढ़ाकर माल देती हैं, जिसकी वजह से छोटे व्यापारियों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है।