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Published: Sep 27, 2023 01:17 PM IST

Lata Mangeshkar Birthday Specialलता के प्यार में लापता हो गए ये मशहूर संगीतकार, जानिए क्या था पूरा मामला?

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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मुंबई: सी रामचंद्र और लता मंगेशकर की जुगलबंदी ने हिंदी फिल्म संगीत को गौरवान्वित होने के कई मौके मुहैया करवाए। सी रामचंद्र की धुनें और लता जी के स्वर ने उस दशक में ऐसा तिलिस्म रचा जिससे निकलने में हिंदी सिनेमा को सालों लग गए। शुरुआत में नूरजहां सी रामचंद्र की पहली पसंद थी, लेकिन उनके पाकिस्तान चले जाने के बाद उनके विकल्प के तौर पर उन्होंने लता जी को आजमाया। ‘समाधि’, ‘कवि’, ‘परछाई’ और ‘अनारकली जैसी फिल्मों में हुई दोनों दिग्गजों की जुगलबंदी हिंदी फिल्म संगीत की अमूल्य धरोहर की तरह हैं।

लता जी ने ठुकरा दिया शादी का प्रस्ताव 

दरअसल सी रामचंद्र और लता जी के संबंध व्यसायिकता से आगे बढ़ते हुए निजी आकर्षण का रूप ले चुके थे। ऐसा आकर्षण जिसकी कोई मंजिल उन्हें नजर नहीं आती थी। इस दर्द को धुनों में ढाल कर सी रामचंद्र ने लता के गले से ही लोगों के सामने रखा। ऐसा कहा जाता है कि सी रामचंद्र और लता मंगेशकर के काफी गहरे ताल्लुकात थे। रामचंद्र ने जब लता मंगेशकर के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने ठुकरा दिए जिससे रामचंद्र काफी नाराज हो गए। इस नाराजगी ने खुन्नस का रूप ले लिया और दोनों इंडस्ट्री में एक-दूसरे की जड़ें खोदने लगे।

सारे रिश्ते खत्म कर दोनों की राहें हुई जुदा 

एक इंटरव्यू में सी.रामचंद्र ने कहा था कि लता उनसे शादी करना चाहती थीं, परंतु उन्होंने इंकार कर दिया क्योंकि वह पहले से शादीशुदा थे। लेकिन रोचक बात यह है कि लता को इंकार करने की बात कहने वाले सी रामचंद्र ने इस घटना के बाद अपनी एक अन्य महिला मित्र शांता को दूसरी पत्नी बना लिया था। 1958 में सी रामचंद्र के साथ व्यावसायिक रिश्ते खत्म कर लेने के बारे में लता ने एक इंटरव्यू में कहा था कि एक रेकॉर्डिस्ट इंडस्ट्री में मेरे बारे में उल्टी-सीधी बातें फैला रहा था और मैंने सी.रामचंद्र से कहा कि उसे हटा दें। परंतु वह उस रेकॉर्डिस्ट के साथ काम करने पर ही अड़े हुए थे। इस बात के बाद मैंने उनके साथ काम न करने का फैसला किया। इस तरह सारे रिश्ते खत्म कर दोनों ने अपने रास्ते अलग कर लिए।

लता जी के सामने नहीं टिक पाए सी रामचंद्र

लता जी का रसूख इतना बड़ा था कि सी रामचंद्र अपनी तमाम खासियतों के बावजूद इंडस्ट्री में टिक नहीं पाए। उन्हें काम देकर कोई लता मंगेशकर की नाराजगी मोल लेने को तैयार नहीं था, जिसका नतीजा ये निकला कि सी रामचंद्र धीरे-धीरे गुमनामी में खोते चले गए।