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Published: Jan 20, 2023 12:26 PM IST

Zindagi Shatranj Hai Movie Reviewहितेन तेजवानी के शानदार अभिनय और थ्रिल से भरी है फिल्म 'जिंदगी शतरंज है'

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
(Photo Credits: File Photo)

फिल्म: जिंदगी शतरंज है 

कलाकार: हितेन तेजवानी, ब्रूना अब्दुल्ला और हेमंत पांडेय

निर्देशक: दुष्यंत प्रताप सिंह

निर्माता: आनंद प्रकाश, मृणालिनी सिंह, फहीम और कुरैशी    

रनटाइम: 85 मिनट

रेटिंग: 3 स्टार्स

कहानी: फिल्म की शुरुआत हॉट है दलेर मेहंदी के मजेदार गीत ‘गड़बड़ गड़बड़’ जिसमें विशाल मल्होत्रा और की जिंदगी में कुछ बहुत ही अप्रत्याशित घटित होती है। कविता के पति विशाल कुछ दिनों के लिए बाहर होते हैं और इस बीच उनके घर एक अज्ञात शख्स आता हा जो खुद को उनका पति विशाल मल्होत्रा बताता है। कविता उसे पति मानने से इंकार कर देती है। वह फोन करके पुलिस को बुलाती है लेकिन हैरानी की बात ये है कि घर का नौकर वासु (हेमंत पांडेय) भी इस नए व्यक्ति को विशाल मल्होत्रा मानता हैं। कविता यह साबित नहीं कर पाती कि उसके घर आया एक अनजान शख्स विशाल मल्होत्रा नहीं हैं। पुलिस को प्रूफ मिलने पर पुलिस वापस चली जाती है। नौकर वासु (हेमंत पांडेय) भी उसको विशाल की पत्नी बताता है वह साबित नहीं कर पाती है। कविता के डॉक्टर भी अनजान व्यक्ति को विशाल मल्होत्रा मानता हैं और आखिर क्यों सब लोग कविता के खिलाफ इस षड्यंत्र में अनजान से मिले हुए हैं? शतरंज की इस दिलचस्प और हैरान कर देने वाली कहानी को पेश करती है।

अभिनय: अभिनेता हितेन तेजवानी एक बहुत ही अच्छे अभिनेता हैं और पहले बहरूपये विशाल मल्होत्रा और फिर एक अधिकारी सिद्धार्थ की भूमिका में इस फिल्म में शुरू से अंत तक दर्शकों को अपने अभिनय से बांध कर रखते हैं। डॉ. शाह की भूमिका में पंकज बेरी जमते हैं वासु के किरदार में हेमंत पांडेय फिल्म में कॉमेडी और सस्पेंस दोनों पक्ष को बहुत सहजता से निभाते हैं। फिल्म में दो गानो क्रमश गड़बड़ गड़बड़ में दलेर मेहँदी की अतिथि भूमिका और बदनाम ना कर देना में ब्रुना अब्दुलाह की प्रस्तुति अच्छी लगती हैं दलेर मेहंदी लम्बे समय के बाद किसी फिल्म के गाने पर परफॉर्म करते नजर आ रहे है।

फाइनल टेक: निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह फिल्म की कहानी को एक जबरजस्त सस्पेंस और थ्रील के साथ प्रस्तुत करते हैं एक बार तो ऐसा लगता हैं की सचमुच कविता अपनी बीमारी की वजह से अपने पति को पहचान नहीं पा रही हैं लेकिन फिल्म में थोड़े थोड़े समय के अंतराल के बाद ऐसी घटनायें होती रहती हैं जिससे पता चलता हैकी सबकुछ वैसा नहीं है जैसे दिखाई दे रहा हैं। फिल्म के सभी किरदार एक षड्यंत्र का हिस्सा लगते हैं यही इस कहानी की ख़ूबसूरती हैं क्योंकि इस सभी घटनाओं के पीछे का सच जब सामने आता है तो सबसे ज़्यादा चौकाने वाला होता हैं। निर्देशक एक सधी प्रस्तुति के साथ पर्दे पर सस्पेंस और रोमांच दिखाने में कामयाब रहते हैं।