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Published: Mar 25, 2023 07:25 PM IST

Exclusive Interview रजनीकांत की बायोपिक करना चाहते हैं तेलुगू स्टार नानी, बोले-उनका लीड रोल करना चाहता हूं

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
नानी (Photo Credits: Instagram)

मुंबई: तेलुगू सिनेमा के युवा कलाकारों में नानी इन दिनों दर्शकों के बीच छाए हुए हैं. दक्षिण फिल्म इंडस्ट्री में ऑडियंस का दिल जीतने के साथ ही हिंदी फिल्मों के दर्शकों द्वारा भी वे खूब पसंद किए जाते हैं. उनकी आगामी फिल्म दसरा’ 30 मार्च को रिलीज होने जा रही है जिसमें वे एक्ट्रेस कीर्ति सुरेश संग नजर आयेंगे. उनकी ये फिल्म हिंदी में भी रिलीज की जाएगी जिसके लिए अभिनेता शरद कीलकर ने अपनी आवाज दी है. हाल ही में फिल्म का प्रचार करने मुंबई पहुंचे नानी ने नवभारत संग विशेष बातचीत की. पेश है इसके कुछ अंश

इस फिल्म की स्क्रिप्ट जब मैंने सुनी तो मुझे लगा ये कि ये सच्चाई और ईमानदारी से बनाई गई कहानी है. फिल्म का निर्देशन करने वाले श्रीकांत ओढ़ेला ने मुझे इसकी कहानी सुनाई. ये उनकी डेब्यू फिल्म है और जब मैं उनसे मिला तो मुझे उनके भीतर भी एक ईमानदारी नजर आई. आमतौर पर फिल्मों में या तो कंटेंट होता है या फिर वो एक मसाला फिल्म होती है जो मास ऑडियंस (बड़े पैमाने पर) के लिए होती है. लेकिन इस फिल्म की कहानी में ये दोनों ही बातें मौजूद हैं. मैंने पाया कि ऐसा कॉम्बिनेशन बेहद कम ही देखने को मिलता है. ये एक बड़ा प्रोजेक्ट था जहां 22 एकड़ की जमीन पर पूरे गांव का सेट डालना था. इसके अलावा कोल माइन में इसे शूट किया जाना था. मेरे मन में ये शंका जरुर थी कि क्या एक डेब्यू डायरेक्टर इन सीन्स को फिल्मा पाएगा? लेकिन जब श्रीकांत से मिला तो मुझे भीतर से लगा कि वे साहसी हैं और अब जब पूरी फिल्म तैयार है तो मुझे एहसास हो रहा है कि उन्होंने इस फिल्म पर मेरी उम्मीदों से भी दोगुना बेहतर काम किया है.

 ये फिल्म वाकई बेहद चैलेंजिंग थी और हमने कैसे असली कोल माइन में शूट किया है. पूरे सेट पर भी काली मिट्टी का धुआं होता था ताकि सीन्स नेचुरल लगे. ऐसे में अगर किसी को डस्ट एलर्जी हो तो वो बीमार ही हो जाए और जिसे नहीं है उसे भी दस्त एलर्जी हो जाये. ऊपर से इसे गर्मी के मौसम में शूट किया गया तो वैसे ही ये बेहद थका देने वाला था. लेकिन जब हम आउटपुट देखते थे तो वो कमाल का था और उससे हमें अगला सीन शूट करने की प्रेरणा मिलती थी. फिल्म को पूरा कर लेने के बाद अब हमें इस पर गर्व है. 

 मुझे लगता है दक्षिण की फिल्मों में मेकिंग से अधिक फोकस उसके जज्बातों पर होता है. एक बेहतरीन और इमोशनल फिल्म हमेशा लीड करेगी. मुझे लगता है कि हिंदी में भी इस प्रकार की फिल्में बनाई जाती हैं और वो बेहद सफल रही हैं. साउथ की बात करें तो यहां फिलहाल ऐसी फिल्में ज्यादा बनाई जा रही हैं. हां, दक्षिण का कल्चर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से थोड़ा अलग है. दक्षिण में ग्लैमर और चकाचौंध होता है लेकिन उसे सबसे ऊपर नहीं रखा जाता. 

 दर्शक मुझे इसलिए मानते हैं क्योंकि फिल्मों में वो मुझे अपनी ही तरह एक सामन्य व्यक्ति के रूप में पाते हैं. मैं कभी ये नहीं सोचता हूं कि ये फिल्म मैं ऑडियंस के लिये बना रहा हूं और मैं उनसे भिन्न हूं. मैं खुद को ऑडियंस से अलग नहीं मानता और इसलिए हमेशा ऐसी कहानियों से जुड़ना पसंद करता हूं जो आम लोगों के बीच की हो. ऐसा करने से अधिकांश मौके पर उस फिल्म को करने का मेरा गणित सही साबित होता है. 

 वो राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं और वो यकीनन वो एक लाजवाब परफॉर्मर हैं. हमने नैनू लोकलनाम की फिल्म में पहली बार साथ काम किया था. वो ऑडियंस के बीच भी सुपरहिट हुई थी. तब हमने फैसला किया था कि अगली बार हम जब भी एक साथ फिल्म करेंगे तो वो और अलग होगी. हम खुशनसीब है कि हमें दसराजैसे फिल्म मिली और ये हम दोनों के लिए ही बेहद यादगार फिल्म होगी. कीर्ति मेरी बहुत अच्छी दोस्त हैं और उनके साथ मैं बेहद सहज महसूस करता हूं. यही कारण है कि हमारी पहली फिल्म हिट हुई थी. आशा करता हूं वही जादू हम इस फिल्म में भी दिखा पाये. 

 मैं अपने प्रशंसकों की बात से पूरी तरह से सहमत हूं. अगर रजनीकांत सर की बायोपिक फिल्म बनती है तो मैं यकीनन उसमें उनका लीड रोल करना चाहूंगा. मैं एक बार रजनी सर से उनके एक फिल्म सेट पर मिला था और उनके साथ अपनी तस्वीर भी सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी. वो बेहद विनम्र हैं और आपसे मिलने पर आपको सम्मान और खुशी से भर देते हैं. उनकी उस मुलाकात की वो याद मैं कभी नहीं भूलूंगा.