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Published: Feb 11, 2024 03:01 PM IST

Acharya Pramod Reactionनिष्कासन पर 'छलका' आचार्य प्रमोद का 'दर्द'! बोले- 6 नहीं 14 साल के लिए निकालो, सचिन पायलट और प्रियंका की भी राहुल कर रहे तौहीन!

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) से 6 साल के लिए निकाले गए आचार्य प्रमोद कृष्णम (Acharya Pramod Krishnam) ने आज रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी पर कई बड़े सवाल दागे। इसके साथ ही आज उन्होंने कहा कि, कांग्रेस ने उन्हें 6 साल के लिए ही क्यों निकाला, भगवान राम की तरह 14 साल के लिए उन्हें निकालना चाहिए था। 

आज आचार्य प्रमोद ने कहा कि, कांग्रेस द्वारा एक चिट्ठी जारी की गई, जिसमें बताया गया है कि, पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से 6 साल के लिए हटाया जा रहा है। मुझे बताया जाना चाहिए कि ऐसी कौनसी गतिविधियां थीं और उन्हें कब पता चला?

वहीँ निष्कासित कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “सवाल इस बात का है कि वो कांग्रेस जो महात्मा गांधी की कांग्रेस थी। आज उस कांग्रेस को किस रास्ते पर लाकर खड़ा किया गया है। क्या कांग्रेस में सिर्फ वो रह सकते हैं जो सनातन को मिटाने की बात करें? मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि ‘राम और राष्ट्र’ पर समझौता नहीं किया जा सकता है। निष्कासन बहुत छोटी चीज है।”

राहुल गांधी पर बोला हमला

वहीँ आज आचार्य प्रमोद ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि, एक आदमी अपने परिवार के साथ-साथ सुख-दुःख में खड़े आदमी का सम्मान करना नहीं जनता। जो अपनी मां-बहन का सम्मान नहीं कर सकता वो कैसे देश का सम्मानकरेगा। जो व्यक्ति पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं की इज्जत नहीं करता तो फिर मुझे अपमानित करना कौन बड़ी बात है।

अब सैदेव PM मोदी के साथ रहूंगा खड़ा 

इसके साथ ही आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “16-17 साल की उम्र में मैंने जो वचन राजीव गांधी को दिया था वो आज तक निभाया है और आज इस उम्र में एक संकल्प ले रहा हूं कि मैं आजीवन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़ा रहूंगा।”

सचिन और प्रियंका का हो रहा अपमान 

सचिन पायलट को लेकर आज कृष्णम ने कहा कि, “सचिन पायलट का बहुत अपमान हुआ है लेकिन वे भगवान शिव की तरह जहर पिये जा रहे हैं। उसी तरह प्रियंका गांधी की भी बहुत तौहीन हो रही है। देश की आज़ादी के बाद किसी भी पदाधिकारी के सामने ऐसा नहीं लिखा गया, जो प्रियंका गांधी के सामने लिखा गया। उनके आगे लिखा गया प्रियंका गांधी, ‘बिना किसी पोर्टफोलियो के महासचिव'(General Secretary without any Portfolio)। सवाल इस बात का है कि ये जो अपमान किया जा रहा है ये किसके इशारे पर हो रहा है?