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Published: Feb 21, 2024 12:10 PM ISTFarmers Protest 2.0शंभू बॉर्डर पर किसानों पर दागे आंसू गैस के गोले, मोदी सरकार का किसानों को बातचीत का न्योता, निकलेगा कोई रास्ता!
नई दिल्ली/चंडीगढ़: जहां एक तरफ आज पंजाब (Punjab) से किसानों का दिल्ली कूच (Delhi Protest) की जबरदस्त कोशिश जारी है। वहीं प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़ने वाली मशीनें लेकर शंभू बॉर्डर पर भी डटे हैं। इस बाबत सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं। इस बाबत हरियाणा पुलिस ने आज मिट्टी खोदने वाली मशीनों के मालिकों से कहा कि, वह प्रदर्शन स्थल से अपनी मशीनें हटाएं, अन्यथा कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
शंभू बॉर्डर पर छोड़े आंसू गैस के गोले
वहीं हरियाणा के सुरक्षा कर्मियों ने कुछ युवा किसानों द्वारा बुधवार को पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर कई चरणों वाले अवरोधकों की ओर बढ़ने के बाद आंसू गैस के गोले छोड़े। हरियाणा पुलिस ने सुबह करीब 11 बजे आंसू गैस के गोले छोड़े जिसके बाद युवा किसान बचने के लिए इधर-उधर भागते दिखे।
इधर मोदी सरकार और किसानों के बीच बढ़ते असंतोष के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने ट्वीट किया है कि, सरकार चौथे दौर के बाद पांचवें दौर में सभी मुद्दे जैसे की MSP की मांग, फसल विविधीकरण, पराली का विषय, FIR पर बातचीत के लिए तैयार है। मैं दोबारा किसान नेताओं को चर्चा के लिए आमंत्रित करता हूं। हमें शांति बनाए रखना जरूरी है।
गौरतलब है कि, पंजाब और हरियाणा के बीच दो सीमा बिंदुओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान आज अपना ‘‘दिल्ली चलो” मार्च फिर से शुरू कर रहे हैं। सरकारी एजेंसियों द्वारा पांच साल तक दालें, मक्का और कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद वे अपना आंदोलन फिर से शुरू कर रहे हैं।
इस बाबत हजारों किसानों ने बीते 13 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च शुरू किया था। इन किसानों को हरियाणा सीमा पर ही रोक दिया गया था, जहां उनकी सुरक्षाकर्मियों से झड़प हुई थी। किसान तब से हरियाणा के साथ लगती पंजाब की सीमा पर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी और कृषि कर्ज माफी समेत अपनी मांगों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं।
इसके साथ ही रविवार को किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की बातचीत में तीन केंद्रीय मंत्रियों की समिति ने प्रस्ताव दिया था कि किसानों के साथ समझौता करने के बाद सरकारी एजेंसियां पांच साल तक पांच फसलें – मूंग दाल, उड़द दाल, तुअर दाल, मक्का और कपास MSP पर खरीदेंगी।