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Published: Dec 25, 2020 11:18 AM IST

मिसालहिरण के बच्चे के लिए जागी ममता, बिछड़ा तो भर आई 'माँ' की आँखें

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

जैसलमेर. वह कहते हैं ना की जन्म देने वाले से बड़ा हमेशा पालने वाला होता है। कुछ ऐसा ही देखने को मिला राजस्थान (Rajasthan) के जैसलमेर (Jaisalmer) में जहाँ एक मुस्लिम परिवार की एक महिला ने मां की ममता की एक अद्भुत मिसाल पेश करते हुए एक बगैर मां के हिरण के बच्चे को बोतल से गाय का दूध पिलाने के साथ उसका पालन पोषण किया।

दरअसल घटना जैसलमेर में लाठी क्षेत्र के केरालिया गांव की है जहाँ नूरे खान की पत्नी माया (Maya) ने एक मादा हिरण को आवारा कुत्तों द्वारा मौत के घाट उतारने के बाद उसके छोटे से दुधमुंहे बच्चे को 7 महीने तक अपने खुद के बच्चे की तरह परवरिश की और उसे गाय का दूध पिला कर उसका लालन पोषण कर जिंदा रखा। यही नहीं उस हिरन के बच्चे का नाम माया ने ‘डॉन’ रखा है।

अब जब 7 महीने बाद जब उस हिरन के बच्चे को वन विभाग को सौंपा तो उसका दिल भर आया और हिरण के बच्चे से अपना बिछोह सहन न कर पाई और रोने लगी। दरअसल यह हिरन का बच्चा माया के परिवार के साथ ही रहता है। इस ‘डॉन’ से परिवार का इतना लगाव हो गया है कि पूरे दिन यह परिवार इसके इर्द-गिर्द ही रहना लगा है। थोड़ा दूर चले जाने पर जैसे ही मौजूद परिवार ‘डॉन’ को उसके नाम से पुकारते हैं तो वह दौड़ते हुए उनके पास आ जाता है। अब यह परिवार डॉन के समय-समय पर ‘दूध-पानी’ का भी ध्यान रखता है।

इंसान और जानवरों के बीच जन्मा यह अद्भुत रिश्ता इसलिए भी खास है क्योंकि वन्य प्राणियों में हिरण ही एक ऐसा जानवर है जो इंसानों के पास आना तो दूर, उसकी आहट सुनते ही भाग खड़ा होता है लेकिन जन्म के करीब 5 दिन बाद से ही हिरण के बच्चे से उसकी मां बिछड़ गई थी। शायद यही करण है कि उक्त महिला माया के रूप में मिला प्यार इस हिरन को उनकी ओर खींच लाता है।

माया का यह भी कहना था कि ‘डॉन’ बहुत ही चंचल है कि कुछ ही दिनों में वह हम सबसे घुलमि‍ल गया और उसका डर खत्म हो गया है। हालाँकि परिवार का कहना है कि आवारा कुत्तों के हमले होने का डर उन्हें हमेशा सताता रहता है। लिहाजा इसको देखते हुए वनविभाग कर्मियों को सूचित कर दिया और फिर वन्य जीव प्रेमी राधेश्याम पेमाणी, धर्मेंद्र पवार, सुरेश जाट, महेन्द्र खां, अलशेर खां की मौजूदगी में हिरण के बच्चे को वन विभाग कर्मियों को सुपुर्द किया गया है। माया को इस बात का दुःख तो है कि ‘डॉन’ अब उससे दूर चला गया है, लेकिन अपने इस ‘बच्चे’ की सुरक्षा की खातिर माया की ‘ममता’ भी तैयार हो गयी। ठीक ही तो है, माँ की ममता होती ही ऐसी है जो अपने बच्चों में कभी भेदभाव नहीं करती फिर चाहे वह ‘जानवर हो या इंसान, माँ की ममता के आगे सब सामान’।