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Published: Apr 05, 2024 08:40 PM IST

Elgar Parishad-Maoist links caseसुप्रीम कोर्ट से शोमा सेन को बड़ी राहत, एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में मिली जमानत

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
Shoma Sen (File Photo)

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में जून 2018 में गिरफ्तार महिला अधिकार कार्यकर्ता शोमा कांति सेन को शुक्रवार को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने निर्देश दिया कि उन्हें ऐसी शर्तों पर जमानत पर रिहा किया जाए, जिन्हें विशेष अदालत उपयुक्त और उचित समझे।

पीठ ने कहा कि जमानत की शर्तों में यह शामिल होगा कि सेन विशेष अदालत की अनुमति के बिना महाराष्ट्र नहीं छोड़ेंगी। पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा, “अपीलकर्ता (सेन) को एनआईए (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) के जांच अधिकारी को उस पते के बारे में सूचित करना होगा, जहां वह जमानत पर रहने के दौरान निवास करेंगी।” इसने कहा कि सेन जमानत पर रहने के दौरान केवल एक मोबाइल फोन नंबर का उपयोग करेंगी और इसे जांच अधिकारी के साथ साझा करेंगी। पीठ ने कहा, “अपीलकर्ता को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि मोबाइल चौबीस घंटे चालू और चार्ज रहे, ताकि वह जमानत पर रहने की पूरी अवधि के दौरान लगातार उपलब्ध रहें।”

पीठ ने कहा, “जमानत पर रहने के दौरान अपीलकर्ता को ‘लोकेशन’, यानी उनके मोबाइल फोन का जीपीएस, 24 घंटे चालू रखना होगा और उनका फोन जांच अधिकारी के साथ जोड़ा जाएगा ताकि एनआईए किसी भी समय अपीलकर्ता के सटीक स्थान की पहचान कर पाये।” इसने निर्देश दिया कि जमानत पर रहते हुए, सेन को हर पखवाड़े में एक बार पुलिस थाने के थाना प्रभारी को रिपोर्ट करना होगा, जिसके अधिकार क्षेत्र में वह रहेंगी।

पीठ ने कहा, “यदि इनमें से किसी भी शर्त या विशेष अदालत द्वारा स्वतंत्र रूप से लगायी जाने वाली किसी अन्य शर्त का उल्लंघन होता है, तो अभियोजन पक्ष के लिए अपीलकर्ता को दी गई जमानत को रद्द करने का विशेष अदालत के समक्ष अनुरोध करने का विकल्प खुला होगा।”

अंग्रेजी साहित्य की प्रोफेसर और महिला अधिकार कार्यकर्ता सेन को छह जून, 2018 को गिरफ्तार किया गया था। यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि इस कार्यक्रम के अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी। पुणे पुलिस का दावा है कि इस कार्यक्रम को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था। मामले में 12 से अधिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को आरोपी बनाया गया है। इसकी जांच का जिम्मा एनआईए संभाल रही है। (एजेंसी)