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Published: Mar 03, 2021 10:25 AM IST

Tamil Nadu Election 2021BJP यहाँ सिर्फ सहयोगी पार्टी, लेकिन रैली में हो रही अटाटूट भीड़, जानें परदे के पीछे की कहानी...

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

विल्लुपुरम. जहाँ एक तरफ विधान सभा चुनावों (Vidhan Sabha Elections) को लेकर चारों राज्यों और केन्द्रशासित राज्य में सरगर्मियां तेज है। वहीं इन सबसे अलग तमिलनाडु (Tamil Nadu) में जहाँ बीजेपी (BJP) का उतना जनाधार  भी नहीं है लेकिन फिर भी वहां पर बीजेपी की रैली (Rally) में उमड़ रही लोगों की भीड़ इस प्रश्न को जरुर खड़ा करती है कि आखिर बिना जनाधार के इतने सारे लोग कैसे। क्या तमिलनाडु का नजरिया अब बीजेपी के प्रति बदल रहा है या फिर बात कुछ और है। आइये करते हैं पता,

राजनीतिक जनसभा या रोजगार का दौर:

अगर देखा जाए तो यहाँ के स्थानीय लोगों का मामं है कि, किसी भी पार्टी की रैलियां हों , तमिलनाडु में चुनावी मौसम में रोजगार का बड़ा जरिया यहीं रैलियां होती हैं। जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में फिलहाल 500 रुपए और शहरी इलाकों में 800 रुपए जैसी अछि खासी रकम मिलने पर यहाँ के स्थानीय लोग किसी भी पार्टी की रैली में चलने को तैयार हो जाते हैं। वहीं फिर रैली में आने के लिए पुरुषों के लिए सफेद धोती-शर्ट और महिलाओं को साड़ी तो मिलना है ही, जो की एक अतिरिक्त आकर्षण है। इसलिए चुनावी रैलियों में यहां आपको भीड़ खूब दिखेगी। आखिर हो भी क्यों न पैसे और कपड़ोंन का भी तो एक आकर्षण होता है।

तमिल मतदाता संस्कृति, भाषा को लेकर हैं अति भावुक: 

गौरतलब है कि अमित शाह विल्लुपुरम में अपने भाषण की शुरुआत ही इस बात के लिए माफी मांगकर करते हैं कि वह लोगों से महान इस महान प्राचीन तमिल भाषा में बात नहीं कर पा रहे हैं। वहीं हिंदी भाषी राज्यों की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी अब राज्य में तमिल गौरव गान को अपनी प्रमुख रणनीति बना रही है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में तमिल भाषा और इसकी संस्कृति की खूब तारीफ की थी। तभी तो विल्लुपुरम के अपने भाषण में अमित शाह को भी यही कहते सुना गया कि तमिलनाडु में पढ़ाई अब मातृभाषा में ही होगी। इसके साथ ही गृहमंत्री शाह इस मसले को लेकर इसलिए भी अब ज्यादा सतर्क नजर आते हैं, क्योंकि हाल में राहुल गांधी ऐसा कई बार बोल  चुके हैं कि बीजेपी, तमिलों का सम्मान नहीं करती है।

बीजेपी- हर हाल में होना चाहती है खास:

गौरतलब है कि तमिलनाडु में बीजेपी  का सत्तारूढ़ AIADMK के साथ गठबंधन है। इअसे में बीजेपी की अभी राज्य में अभी मौजूदगी उतनी खास नजर नहीं आती, लेकिन फिर भी वह यहां चर्चा में रहना चाहती है।इसके साथ ही पुडुचेरी में बीजेपी ने कांग्रेस की सरकार गिरा कर खुद के मजबूत होने का संकेत भी अब दे दिया है। वहीं अब तमिलनाडु में प्रभाव बढ़ाने के लिए पुडुचेरी के घटनाक्रम का भी व्यापक सहारा लिया जा रहा है। इसी रणनीति के तहत बीजेपी ने राज्य में अपनी संकल्प यात्रा की शुरुआत भी यहां से सटे जानकीपुरम से ही की।

2G, 3G, और 4G जरिए परिवारवाद पर बीजेपी के प्रहार:

गौरतलब है कि अमित शाह 2G, 3G, 4G के फार्मूले का जिक्र कर प्रमुख विपक्षी दल DMK और कांग्रेस पर अपने निशाने को साधा है। यहाँ 2G से अमित शाह का मतलब मारन परिवार की 2 पीढ़ियों के परिवारवाद से होता। 3G को उन्होंने करुणानिधि, उनके बेटे स्टालिन और फिर उनके बेटे उदयनिधि से जोड़ा। इसी क्रम में 4G को वे कांग्रेस की चौथी पीढ़ी यानी राहुल गांधी से जोड़ देते हैं। इसी को बीजेपी ने अपना इस बार का नया फार्मूला बनाया है। लेकिन अमित शाह यह बताने से भी नहीं चुकते कि PM मोदी कैबिनेट के सबसे काबिल लोग जैसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर तो फिर तमिलनाडु से ही हैं। यानी बीजेपी ने हमेशा तमिलों को सर आँखों पर रखा है।

राम मंदिर न बन पाया भावनात्मक मुद्दा, लेकिन पर्चे खूब बंट रहे: 

हालाँकि राम मंदिर का मुद्दा तमिलनाडु में फिलहाल कोई भावनात्मक पकड़ नहीं रख या बना पाया है, लेकिन फिर भी बीजेपी कार्यकर्ता हर सभा में राम मंदिर के मॉडल के हजारों पर्चे बांटते हैं। हालांकि यहाँ की सभा खत्म होने के बाद यही पर्चे जहां-तहां बिखरे पड़े नजर आते हैं। लें फिर भी पर्चे बांटने वाले स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना होई कि, अभी भले ही इसका असर नहीं दिख रहा, लेकिन लोगों को इस बारे में जरुर जागरूक किया जा रहा है।

RSS और BJP कार्यकर्ता कर रहे मेहनत: 

अब बीजेपी के किस भी तरह के यहाँ होने वाले बीजेपी के बड़े नेताओं के कार्यक्रम के पहले बीजेपी संगठन और RSS कार्यकर्ता लंबे समय से यहाँ तैयारी करते हैं। पूरे राज्य में कहीं भी जनसभा हो, दूर-दराज से भी पार्टी से जुडे़ लोगों को सभा स्थल तक यही संगठन के लोग लाते हैं। यह जरुरी नहीं कि सभा में दिखने वाली भीड़ वोटों में तब्दील हो। लेकिन पार्टी का इस प्रकार की सभाओं से शक्ति प्रदर्शन के साथ ही साथ चर्चा में भी बनी रहती है। 

तो इस प्रकार हम देखें तो तमिलनाडु में बीजेपी के कार्यकर्ता, RSS जैसे संगठन के साथ जमीनी रूप से कार्य कर रहे हैं। फिर पैसा, कपडा और तमिल भाषा के प्रति आदर जैसे अन्य जरुरी चीजें तो खैर अपना कार्य कर ही रही हैं। खैर इसका प्रतिसाद तो विधानसभा चुनावों में ही पता चलेगा।