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Published: Jan 31, 2022 01:49 PM IST

Budget Storiesजब बजट के दौरान इंदिरा गांधी ने मांगी 'माफी', कभी पेश हुआ था देश का 'ब्लैक बजट'

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली. जहाँ एक तरफ केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 1 फरवरी 2022 को देश का आम बजट पेश करेंगी। बता दें कि ये उनका पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री के नाते चौथा बजट होगा। इसी बीच अबबजट इतिहास से जुड़े रोचक पहलुओं से भी थोडा रूबरू हुआ जाए। इस क्रम में आज जानिए देश के ब्लैक बजट के बारे में। इसके साथ ही देश के इतिहास का एक बजट ऐसा भी रहा था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री ने बजट भाषण के दौरान माफी भी मांगी। आइए जानें भारतीय बजट इतिहास से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

जब इंदिरा गांधी ने मांगी थी माफी

जी हाँ, 28 फरवरी 1970 के दिन पूर्व प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री पद के साथ वित्त मंत्री होने के नाते देश का आम बजट पेश किया था। यूँ तो लोग इंदिरा गांधी के मिजाज, खासतौर पर उनके सख्त लहजे से सभी अच्छी तरह से वाकिफ थे। वहीं अपने बजट भाषण में ताकतवर इंदिरा गांधी ने जब कहा, “मुझे माफ कीजिएगा” तो यह सुनकर लोकसभा के अधिकांश सदस्य भी हैरान रह गए। सभी सोचने लगे कि अब ऐसा क्या आने वाला है, जिससे पहले इंदिरा गांधी ने माफी देने की बात कह दी। लेकिन जब इंदिरा गांधी ने अगला वाक्य बोला तो वहां बैठे सभी का शक दूर गया। 

लिया राजस्व बढ़ाने का कड़ा फैसला

दरअसल, उस समय इंदिरा गांधी  को राजस्व बढ़ाना था, जिसके चलते उन्होंने अपने बजट में सिगरेट पर लगी ड्यूटी को 3 से बढ़ाकर 22% कर दिया। ड्यूटी बढ़ाने से पहले हालाँकि उन्होंने कहा कि, “मुझे माफ कीजिएगा, लेकिन इस बार मैं सिगरेट पीने वालों की जेब पर भार डालने वाली हूं।” वहीं सिगरेट पर ड्यूटी बढ़ाने के बाद इंदिरा ने कहा था कि इससे सरकार के राजस्व में 13.50 करोड़ रुपये का अतिरिक्त इजाफा हो जाएगा। इससे सिगरेट पीने वालों को जैसे जोर का झटका लगा था। तो वहीं उन्होंने आयकर में छूट की सीमा बढ़ाकर 40 हजार रुपये भी कर दी थी। 

जब भारत में पेश हुआ था ‘काला बजट’

गौरतलब है कि वित्त वर्ष 1973-74 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव बी चव्हाण द्वारा पेश किए गए बजट को भारतीय इतिहास का ‘काला बजट’ की संज्ञा दी गयी है। दरअसल उस बजट में 550 करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा दिखाया गया था। इसके साथ ही एक और रोचक तथ्य आपको बताते हुए चलें कि साल 1955 तक सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही बजट पेश किया जाता था। लेकिन फिर वित्त वर्ष 1955-56 से बजट पहली बार अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषा में इसे छापा गया था।