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Published: Jan 10, 2022 03:52 PM IST

Lal Bahadur Shastri Death Anniversaryपुण्यतिथि विशेष : आज है लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि, ऐसा PM जिसकी अपील पर पूरे देश ने त्यागा 1 वक़्त का 'खाना'

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली. आज देश (India) के दूसरे प्रधानमंत्री और ‘जय किसान, जय जवान’ (Jai Jawaan, Jai Kissan) का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) की पुण्यतिथि (Death Anniversary) है, दोस्तों। आज ही के दिन 11 जनवरी 1966 को उनका दुखद निधन हो गया था। पता हो कि अपनी बेहद साफ सुथरी छवि और सदागीपूर्ण जीवन शैली  के लिए प्रसिद्ध लाल बहादुर शास्त्री ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद 9 जून 1964 को भारत के प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया था।

इस दौरान वो करीब 18 महीने तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके कि करिश्माई नेतृत्व में भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। लेकिन फिर ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की देर रात में बड़ी ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई थी।

शास्त्री जी के जीवन पर एक नजर 

दोस्तों आपको पता हो कि, लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय में हुआ था। उन्होंने काशी विद्यापीठ से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। साल 1928 में उनका विवाह ललिता जी से संपन्न हुआ था। इस विवाह से उनके कुल 6 बच्चे हुए। दो बेटियां-कुसुम और सुमन। चार बेटे-हरिकृष्ण, अनिल, सुनील और अशोक। हालाँकि उनके दो बेटों का अब निधन भी हो चुका है।

देश की आजादी की खातिर 9 बार गए जेल 

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में लाल बहादुर शास्त्री कई बार जेल भी गए। साल 1930 में हुए ‘नमक सत्याग्रह’ के चलते तो उन्हें करीब ढाई साल जेल में ही रहने पड़ा। इसके बाद फिर स्वतंत्रता आंदोलन के चलते उन्हें 1 साल जेल की सजा हुई। इसके बाद साल 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के चलते उन्हें 4 साल तक जेल में ही रहने पड़ा। लेकिन फिर बाद  में 1946 में उन्हें जेल से रिहा किया गया था। इस तरह देखा जाए तो शास्त्री जी देश प्रेम के चलते करीब 9 बार जेल गए।

बने देश के दूसरे प्रधानमंत्री 

फिर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे PM बने। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने देश को जय जवान जय किसान का नारा दिया। इतना ही नहीं अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने देश की विकास यात्रा को आगे बढ़ाने का भरपूर और सार्थक कार्य  किया।

किया चुनौतियों का सामना 

इधर जब शास्त्री जी देश के प्रधानमंत्री बने तब देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती अनाज की थी। उस वक्त खाने की चीजों के लिए भारत जैसे अमेरिका पर ही निर्भर हो चूका था। तब उन्होंने अपने पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, उनकी सबसे पहली प्राथमिकता खाद्यान्न मूल्यों को बढ़ने से रोकना है। लेकिन फिर उसी बीच 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया।

दिया ‘जय जवान, जय किसान’ का ऐतिहासिक नारा 

तब पाकिस्तान से युद्ध के दौरान ही देश में अनाज की भारी किल्लत हो चली  थी। तभी देश का हौसला बुलंद करने के लिए शास्त्री ही ने ‘जय जवान, जय किसान ‘ का एक बुलंद और ऐतिहासिक नारा भी दिया था। वहीं देश को अन्न की कमी से निकलने के लिए उन्होंने एक समय भूखे रहने की अपील भी की थी जिसे पूरे देश ने भी  माना।

ताशकंद समझौते के बाद हुई रहस्यमयी मृत्यु 

साल 1965 के युद्ध के दौरान शास्त्री जी जैसे राष्ट्रीय हीरो बन चुके थे। हालाँकि बाद में अमेरिका के हस्तक्षेप के चलते भारत पर युद्ध समाप्त करने के समझौते का दबाव पड़ने लगा। इसके लिए शास्त्री जी को रूस बुलवाया गया। समझौता वार्ता के दौरान शास्त्री ने सारी शर्ते मानीं लेकिन वो पाकिस्तान को उनकी जमीन बिल्कुल लौटाने को तैयार नहीं थे। हालाँकि फिर उन पर दबाव बनाकर 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद समझौते के दस्तावेज़ पर उनके हस्ताक्षर कराए गए। लेकिन फिर इसके कुछ घंटे बाद ही 11 जनवरी 1966 की देर रात में ही उनकी मृत्यु हो गई। हालाँकि उनकी इस तरह हुई मृत्यु का रहस्य अब भी बना हुआ है। लेकिन देश आज भी अपने इस वीर सपूत को याद कर फक्र महसूस करता है।