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Published: Jan 31, 2024 08:10 PM IST

Delhi Excise Policy Scamदिल्ली हाई कोर्ट ने संजय सिंह की जमानत अर्जी पर आदेश रखा सुरक्षित, आबकारी नीति घोटाला से जुड़ा है मामला

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court ) ने आम आदमी पार्टी (AAP) के गिरफ्तार सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) की उस याचिका पर अपना आदेश बुधवार को सुरक्षित रख लिया, जिसमें दिल्ली आबकारी नीति घोटाले (Delhi Excise Policy Scam) से संबंधित धनशोधन मामले (Money Laundering Case) में जमानत का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने सिंह और ईडी की दलीलें सुनीं। सिंह ने इस आधार पर जमानत का अनुरोध किया है कि वह पिछले तीन महीने से हिरासत में हैं और जिस अपराध का अनुमान लगाया जा रहा है उसमें उनकी कोई भूमिका का आरोप नहीं है।

जांच एजेंसी ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि सिंह 2021-22 की नीति अवधि से संबंधित दिल्ली शराब घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय को प्राप्त करने, रखने, छुपाने और उपयोग करने में शामिल थे। ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने दलील दी कि गवाहों को जांच एजेंसी को सच न बताने के लिए धमकाया जा रहा है और यह एक और कारण है कि सिंह को जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने दलील दी कि सिंह में फिर से इसी तरह का अपराध करने की प्रवृत्ति है और उनकी ईडी कार्यालय में भी पहुंच थी क्योंकि वह कुछ दस्तावेज हासिल करने में कामयाब रहे थे जो ईडी कार्यालय में थे और सार्वजनिक नहीं थे। सिंह की ओर से पेश हुए वकील मोहित माथुर ने कहा कि उन्हें ईडी के “स्टार गवाह (दिनेश अरोड़ा)” के बयान के बाद गिरफ्तार किया गया था और कहा कि सिंह को धनशोधन मामले में आरोपी नहीं बनाया जा सकता क्योंकि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की मुख्य प्राथमिकी में वह नामजद नहीं थे।

 

ईडी द्वारा 4 अक्टूबर, 2023 को गिरफ्तार किए गए राज्यसभा सदस्य सिंह ने निचली अदालत के 22 दिसंबर, 2023 के आदेश को चुनौती दी है, जिसके द्वारा धनशोधन मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। ईडी ने याचिका के जवाब में कहा कि सिंह दिल्ली आबकारी नीति में बदलावों से उत्पन्न व्यवसाय से अर्जित होने वाली “अपराध की आय” को सफेद करने के लिए एक कंपनी बनाने में कथित तौर पर शामिल थे।  जांच एजेंसी ने कहा कि जांच के दौरान यह बात सामने आयी कि सिंह कथित घोटाले में एक प्रमुख साजिशकर्ता हैं और वह इस मामले में कई आरोपियों या संदिग्धों, व्यवसायी दिनेश अरोड़ा और अमित अरोड़ा के साथ निकटता से जुड़े हुए थे।

उसने कहा, ‘‘…यह स्पष्ट है कि संजय सिंह स्वयं और उनके सह-साजिशकर्ता की साजिश के तहत नीतिगत बदलावों से उत्पन्न होने वाले व्यवसाय से अर्जित अपराध की आय को सफेद करने के लिए एक कंपनी (मेसर्स अरालियास हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड) बनाने में शामिल थे।” एजेंसी ने दावा किया कि आप नेता सिंह ने अवैध धन या रिश्वत प्राप्त की है जो शराब नीति (2021-22) घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय है और उन्होंने दूसरों के साथ साजिश में भी भूमिका निभायी है।

ईडी ने कहा कि जांच से पता चला है कि सिंह को अपराध से दो करोड़ रुपये मिले हैं। ईडी ने आरोप लगाया है कि सिंह ने अब समाप्त हो चुकी आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, जिससे कथित तौर पर कुछ शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं को मौद्रिक लाभ हुआ। यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को तैयार करने और क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था। दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना की सिफारिश के बाद, सीबीआई ने कथित भ्रष्टाचार पर एक प्राथमिकी दर्ज की थी। निचली अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि वह “2 करोड़ रुपये की सीमा तक अपराध की आय” से जुड़े थे और उनके खिलाफ मामला “वास्तविक” है।