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Published: Dec 10, 2019 11:25 AM IST

देशजाने क्या है NRC और नागरिकता संशोधन बिल(CAB) में अंतर

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली: काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक(CAB) पेश किया। बिल पेश होने के बाद माहौल में काफी गर्मी बढ़ गई हैं। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी द्वारा  बिल को अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बताया गया। बिल को पेश करने के बाद सरकार के पक्ष में 293 वोट पड़े। कई लोगो को अभी भी यह उलझन है की नागरिकता संशोधन विधेयक(CAB) और नेशनल नागरिक रजिस्टर (NRC) एक ही हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। जानिए दोनों में अंतर… 

क्या है नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप (NRC)?
राष्ट्रीय नागरिक पंजी या नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप (NRC) एक ऐसा रजिस्टर है जिसमें सभी भारतीय नागरिकों के नाम दर्ज हैं। हल फिलहाल में यह केवल असम में ही लागू किया गया हैं। NRC असम में मूल रूप से राज्य में रहने वाले भारतीय नागरिकों की एक सूची है। NRC बनाने का उद्देश्य बांग्लादेश के सीमावर्ती राज्यों में विदेशी नागरिकों की पहचान के बारे में पता लगाना था।

पहली बार 1951 में NRC तैयार किया गया था। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद वर्ष 2013 में NRC को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। NRC का लक्ष्य था कि 1971 के बाद बांग्लादेश से असम आए अवैध प्रवासियों की पहचान की जा सके। 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के दौरान लाखों की संख्या में बांग्लादेशी नागरिक सीमा पार करके असम आ गए थे।

NRC के अंतर्गत कौन आता है- इसमें वह लोग शामिल है जो 24 मार्च की मध्यरात्रि 1971 या उससे पहले से असम के नागरिक है या इस अवधि के वक्त उनके पूर्वज असम में रहते थे। 1985 में असम प्रावधान में 24/25 मार्च 1971 के बाद भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करके उन्हें वापस उनके वतन भेजने का वादा किया गया।

NRC से कौन हुआ बाहर- 2013 में उच्चतम न्यायालय के आदेश से असम में NRC हुआ। जब प्रक्रिया की शुरुआत हुई उस समय असम की जनसंख्या 3.3 करोड़ थी। अंतिम NRC लिस्ट 31 अगस्त 2019 को जारी की गई, जिसमें 19 लाख लोगों को जगह नहीं मिली, जबकि 3.11 करोड़ लोगों को भारतीय नागरिक माना गया।

क्या हैं नागरिकता संशोधन बिल(CAB) 2019? 

1955 में संशोधन के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक(CAB) 2019 लाया गया हैं। जिससे चुनिंदा श्रेणियों में अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने का पात्र बनाया जा सके। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह समुदायों हिंदू, सिख, जैन बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इनमें वह सभी शामिल होंगें जो अवैध रूप से भारत आए हैं या जिनके दस्तावेज की समय सीमा खत्म हो गई है। इन तीनों देशों से आए लोग बिना अपने माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र के अगर 6 साल तक भारत में रहते है तो उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी।   

जाने NRC और नागरिकता संशोधन बिल में अंतर?