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Published: Jun 24, 2021 09:14 PM IST

SCO Meetडोभाल ने पाक स्थित आतंकी समूहों के खिलाफ एससीओ की कार्ययोजना पर जोर दिया

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) ने आठ देशों के समूह एससीओ के ढांचे के तहत पाकिस्तान (Pakistan) स्थित आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) और जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) के खिलाफ एक “कार्य योजना” की वकालत की और आतंकवादी हमलों की साजिश रचने वालों के खिलाफ जल्दी कानूनी कार्रवाई का आह्वान किया।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में बुधवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की एक बैठक में डोभाल ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के पूर्ण कार्यान्वयन तथा संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित अपराधियों और संस्थाओं के खिलाफ लक्षित प्रतिबंधों पर भी जोर दिया।

डोभाल ने आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपनाए जाने पर भी बल दिया तथा एससीओ और आतंकवाद विरोधी निगरानी निकाय एफएटीएफ (वित्तीय कार्रवाई कार्यबल) के बीच एक समझौता ज्ञापन का भी सुझाव दिया। उन्होंने सभी प्रकार के आतंकवाद की तीखी निंदा करते हुए कहा कि सीमा पार आतंकवादी हमलों सहित आतंकवाद के साजिशकर्ताओं को तेजी से न्याय की जद में लाया जाना चाहिए।

सूत्रों ने कहा कि डोभाल ने एससीओ ढांचे के तहत लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ एक कार्य योजना का प्रस्ताव रखा। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद भारत में कई आतंकी हमलों में शामिल रहे हैं।डोभाल ने अपने संबोधन में आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की जा रही नयी तकनीकों की निगरानी पर भी जोर दिया। बैठक से इतर डोभाल ने रूसी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार निकोलाई पत्रुशेव के साथ दो घंटे से अधिक समय तक बैठक की।

सूत्रों ने कहा कि उन्होंने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व से जुड़े समकालीन घटनाक्रम पर चर्चा की।  बैठक में डोभाल ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले दो दशकों में हासिल की गई उपलब्धियों को कायम रखने और अफगान लोगों के कल्याण को शीर्ष प्राथमिकता देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को लेकर एससीओ संपर्क समूह का भारत पूरा समर्थन करता है तथा इसे और अधिक सक्रिय होना चाहिए।

डोभाल ने कहा कि भारत 2017 में संगठन का सदस्य बना, लेकिन एससीओ के संस्थापक देशों के साथ सदियों से उसके भौतिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक संबंध हैं।(एजेंसी)