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Published: Dec 24, 2023 08:02 AM IST

Drone Attackपेंटागन का बड़ा दावा! इजराइली केमिकल शिप पर ईरान ने किया था ड्रोन अटैक, भारत का 'विक्रम’ मदद को निकला

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
मदद को निकला देश का ‘विक्रम’

नई दिल्ली: एक बड़ी खबर के अनुसार हिंद महासागर (Indian Ocean) में करीब 200 समुद्री मील दूर पोरबंदर (Porbandar) तट पर एक व्यापारिक जहाज पर जहां बीते शनिवार यानी 23 दिसंबर को संदिग्ध ड्रोन हमला हुआ है। वहीं इस हमले को लेकर अमेरिकी रक्षा विभाग का दावा है कि जिस केमिकल टैंकर पर ड्रोन हमला (Drone Attack) किया गया वो ईरान से लॉन्च किया गया था। वहीं मामले पर पेंटागन (Pentagon) से एक बयान भी जारी किया गया।

इरानी हमले का दावा 

रॉयटर्स की मानें तो पेंटागन ने कहा, “लाइबेरिया का झंडा, जापान के स्वामित्व वाला और नीदरलैंड से चलने वाले केम प्लूटो हिंद महासागर में स्थानीय समयानुसार लगभग सुबह 10 बजे (6 एम जीएमटी) फंस गया, इस पर ईरान की ओर से एक तरफा हमला करने वाले ड्रोन से भारत के तट से 200 समुद्री मील दूर हमला हुआ।” पेंटागन के बयान के अनुसार ये 2021 के बाद से कमर्शियल शिप पर सातवां ईरानी हमला है।”

भारत का ‘विक्रम’ रेस्क्यू ऑपरेशन पर

इधर मुसीबत में फंसे इजराइली व्यापारिक जहाज को बचाने के लिए भारत का ‘विक्रम’ भी निकल चुका है। भारतीय तटरक्षक जहाज ICGS विक्रम एक इजराइली व्यापारिक जहाज एमवी केम प्लूटो की ओर बढ़ रहा है। फिलहाल यह जहाज पोरबंदर से 217 समुद्री मील दूर अरब सागर में मौजूद है। हालांकि आग बुझा ली गई है, लेकिन आग लगने का प्रभाव अभी भी बाकी है। जहाज में कच्चा तेल है और यह सऊदी अरब के एक बंदरगाह से मैंगलोर की ओर जा रहा था।

भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने कहा कि क्षेत्र में भेजे गए एक समुद्री गश्ती विमान ने व्यापारिक जहाज के ऊपर से उड़ान भरी और उसके साथ संपर्क स्थापित किया। नौसेना के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘विमान ने जहाज और उसके चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित की।’’ सूत्रों ने बताया कि जहाज पर सवार चालक दल के 22 सदस्य और जहाज केम प्लूटो ‘सुरक्षित’ हैं।

जानें विक्रम की ताकत

जानकारी दें कि पहले स्वदेशी रूप से विकसित अपतटीय गश्ती जहाज ICGS विक्रम को चेन्नई के एन्नोर के पास कट्टुपल्ली बंदरगाह पर इंडियन नेवी में शामिल किया गया था। यह जहाज 98 मीटर श्रेणी के 7 विक्रम श्रेणी के अपतटीय गश्ती जहाजों में से पहला जहाज है।

विक्रम बिना ईंधन भरे कम से कम 5,000 समुद्री मील की आराम से यात्रा कर सकता है। इसकी की लागत 190 करोड़ रुपये के करीब है और यह कमांडर, तटरक्षक क्षेत्र (पश्चिम) के परिचालन और प्रशासनिक नियंत्रण के तहत मैंगलोर में फिलहाल तैनात है।