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Published: Sep 20, 2020 01:02 PM IST

मानसून सत्रअरुणाचल प्रदेश में अवसंरचना विकास को प्राथमिकता दे सरकार

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली. चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा किए जाने और वहां के नागरिकों को इसकी वजह से होने वाली परेशानियों का मुद्दा उठाते हुए रविवार को राज्यसभा में एक सदस्य ने सरकार से इस सीमाई प्रदेश में अवसंरचना के विकास को प्राथमिकता दिए जाने की मांग की। बीपीएफ के विश्वजीत दैमारी ने उच्च सदन में शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि अरूणाचल प्रदेश भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने हाल ही में राज्य के पांच लोगों को चीनी फौजों द्वारा पकड़ लेने और 12 सितंबर को रिहा करने का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश के लोगों को इस तरह के संकट का सामना अक्सर करना पड़ता है। बार बार वहां के लोगों को ऐसे में यह स्पष्टीकरण देना पड़ता है कि वे भारतीय हैं।

उन्होंने कहा कि फिलहाल चीन के साथ लद्दाख में गतिरोध की स्थिति है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश से पूरे पूर्वोत्तर के राज्य भी जुड़े हुए हैं। दैमारी ने सरकार से मांग की कि इस मुद्दे का कोई समाधान निकाला जाए ताकि अरुणाचल प्रदेश के लोग बिना किसी तरह या परेशानी के अपना जीवन यापन कर सकें। उन्होंने कहा कि इसके अलावा असम के सोनितपुर जिले के मीसामारी गांव में में सेना का ‘बेस कैम्प’ है। वहां रसद और साजोसामान पहुंचाने के लिए जो रास्ता है, वह भी बहुत खराब है। वहां सेना के लिए अगर सामान पहुंचाया जाता है तो आम लोगों की आवाजाही उस रास्ते पर बंद कर दी जाती है। इससे आम लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सड़क की हालत भी अच्छी नहीं है।

‘‘ईटानगर से तवांग का रास्ता पूरी तरह खस्ताहाल है।” उन्होंने कहा कि चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है। उन्होंने कहा कि तमाम परिस्थितियों को देखते हुए वहां अवसंरचना का विकास बहुत जरूरी है ताकि वहां के लोगों की और जमीन की रक्षा की जा सके। शून्यकाल में ही भाजपा की सरोज पांडेय ने छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य से जुड़ी आयुष्मान भारत योजना पूरी तरह लागू न किए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अब तक करीब दो करोड़ लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं। सरोज ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस संकट जिस प्रकार गहरा हो रहा है उसे देखते हुए वहां आयुष्मान भारत योजना को लागू करना समय की मांग है। शून्यकाल में तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी ने एनईटी (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) परीक्षा की तारीख बदलने की मांग की ।

उन्होंने कहा कि यूजीसी की ओर से इस परीक्षा का आयोजन ‘‘नेशनल टेस्टिंग एजेंसी” द्वारा किया जा रहा है। इस साल परीक्षा 23 अक्टूबर तक होगी। त्रिवेदी ने कहा ‘‘लेकिन 21 अक्टूबर से दुर्गा पूजा शुरू हो रही है और न केवल पश्चिम बंगाल में बल्कि पूरे देश में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। ” उन्होंने मांग की कि इसे देखते हुए सरकार को और शिक्षा मंत्रालय को एनईटी परीक्षाओं की तारीखों में बदलाव करना चाहिए। इनके अलावा तेदेपा सदस्य कनकमेदला रवींद्र कुमार, कांग्रेस के राजमणि पटेल और राजीव सातव ने भी शून्यकाल के तहत अपने अपने मुद्दे उठाए।

इसके बाद सभापति की अनुमति से विशेष उल्लेख के जरिये भाजपा के कामाख्या प्रसाद तासा और शंभा जी छत्रपति, सपा के रविप्रकाश वर्मा और विशंभर प्रसाद निषाद, माकपा की झरना दास वैद्य, कांग्रेस के जयराम रमेश, बीजद के प्रशांत नंदा, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन तथा निर्दलीय अजित कुमार भुइयां ने लोक महत्व से जुड़े अपने अपने मुद्दे उठाए।(एजेंसी)