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Published: Jan 31, 2023 03:34 PM IST

Amitav Ghoshअधिक तीर्थयात्रियों को भेजने की चाह की वजह से पवित्र स्थान हो रहे नष्ट, जोशीमठ बना उदाहरण: अमिताव घोष

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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कोलकाता: ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखक अमिताव घोष (Amitav Ghosh) ने अफसोस व्यक्त किया कि अधिक तीर्थयात्रियों को भेजने की चाह में अधिकारी वास्तव में तीर्थ स्थलों को नष्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन (climate change) के अलावा प्रकृति में मानव हस्तक्षेप उत्तरखंड (Uttarakhand) के तीर्थनगर जोशीमठ में आई आपदा के लिए जिम्मेदार है जहां भू धंसाव हो रहा है। पर्यावरण के मुद्दे पर कई किताबें लिख चुके घोष ने कहा कि न केवल हिमालय की गोद में बसा जोशीमठ बल्कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) का सुंदरबन भी इन्हीं कारणों से खतरे का सामना कर रहा है। यहां हाल में आयोजित एक कार्यक्रम में घोष ने कहा कि इन जैसे स्थानों के भविष्य को लेकर वह ‘‘वास्तव में भयभीत” हैं।  

उन्होंने कहा, ‘‘जब जलवायु परिवर्तन असर दिखा रहा है, मानव हस्तक्षेप आपदा को और बढ़ा रहे हैं…जैसा की जोशीमठ में हुआ। यह विरोधाभास है कि अधिक श्रद्धालुओं को भेजने की उत्सुकता की वजह से आप वास्तव में इन तीर्थ स्थलों को नष्ट कर रहे हैं।” 

जोशीमठ भगवान ब्रदीनाथ का शीतकालीन पीठ है जहां पर आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में चार में से एक मठ की स्थापना की थी। घोष ने आरोप लगाया कि पर्यावरण नियमन को खत्म कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि ‘‘अंतहीन पर्यावरण वार्ता” वास्तव में अंतरराष्ट्रीय जलवायु पर सीओपी की बैठक से प्रेरित है। उन्होने कहा कि पर्यावरण रक्षा की गतिविधियों से लोग मानते हैं कि संगठन पर्यावरण की रक्षा के लिए अधिक कार्य कर रहे हैं जबकि वास्तविकता उससे अलग होती है। (एजेंसी)