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Published: Sep 03, 2021 03:09 PM IST

INS Dhruv देश का पहला न्यूक्लियर मिसाइल ट्रैकिंग जहाज INS ध्रुव की 10 सितंबर को लॉन्चिंग, चीन-पाकिस्तान की हर चाल पर होगी नजर

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली. एक बड़ी खबर के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल (Ajit Doval) आगामी 10 सितंबर को विशाखापत्तनम से भारत के पहले उपग्रह और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग जहाज ध्रुव के लॉन्चिंग समारोह में शायद शामिल हो सकते हैं। बता दें की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) हिंदुस्तान शिपयार्ड के सहयोग से निर्मित INS ध्रुव (INS Dhruv) दुश्मन पनडुब्बियों के बारे में पता लगाने में माहिर है। 

लॉन्चिंग समारोह में ये होंगे मौजूद 

जानकारी के मुताबिक लॉन्चिंग समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और NTRO के अध्यक्ष अनिल धस्माना, DRDO और नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मौजूद रहेंगे। बताया जा राह है कि आगामी 10 सितम्बर को इस बेहतरीन परमाणु मिसाइल ट्रैकिंग जहाज को भारतीय नौसेना के कर्मियों द्वारा स्ट्रैटजिक फोर्सेज कमांड (SFC) के साथ ऑपरेट किया जाएगा।

 इस ऑपरेट करने वाला विश्व का छठा देश होगा भारत

विदित हो कि ऐसे सक्षम जहाजों का संचालन अभी तक सिर्फ फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और चीन में ही होता है। इस आला जहाज को कमीशन किए जाने के बाद भारत ऐसा जहाज ऑपरेट करने वाला अब विश्व का छठा देश होगा। इतना ही नहीं इस जहाज को निर्माण के शुरुआती दिनों में दुश्मन के उपग्रहों और जासूसी मिशनों की नजरों से दूर रखने के लिए इसे एक निर्जन डॉक पर रखा गया था।

INS ध्रुव होगा गेम चेंजर साबित 

गौरतलब है कि INS ध्रुव हमारे देश के लिए बहुत बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है। इस हाई क्लासीफाइड प्रोजेक्ट को कमीशनिंग से पहले विजाग में अंतिम रूप दिया गया। वहीं इस शक्तिशाली जहाज के साल 2018 से ही कई टेस्ट्स हुए हैं जिसमें यह हर बार सफल और बेहतरीन साबित हुआ है।

क्या है INS ध्रुव की खासियत 

 भारत की ताकत को कई गुना बढ़ाएगा INS ध्रुव

अगर हम विश्व के राजनीतिक और भूगोलिक स्तिथियों को देखें तो INS ध्रुव को लॉन्च करने का इससे बेहतर और कोई समय नहीं हो सकता। फिलहाल चीन ना सिर्फ पूर्वी लद्दाख में बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भी एक खतरा बनकर उभर रहा है। ऐसे में हमारा INS ध्रुव भारतीय नौसेना की ताकत में कई गुना इजाफा करेगा। इसकी मदद से नौसेना को हाई एक्यूरेसी के साथ ऑफेंसिव प्लान बनाने में बड़ी मदद होगी। एक और खासियत के अनुसार इस बड़े और विशालकाय जहाज के सर्विलांस सिस्टम के ऑपरेशन में करीब 14 मेगावाट बिजली की आवश्यकता पड़ेगी जो INS ध्रुव खुद ही बनाएगा।

15,000 टन इस वजनी और विशालकाय जहाज की लागत लगभग 725 करोड़ रुपये है।INS ध्रुव अब भारतीय नौसेना की क्षमता को बढ़ाते हुए अदन की खाड़ी से मलक्का, सुंडा, लोम्बोक, ओमबाई और वेटार स्ट्रैट्स के जरिए दक्षिण चीन सागर तक आने वाले रास्तों तक की निगरानी में मदद करेगा। इस प्रकार INS ध्रुव भारत के लिए एक प्रकार से ‘जैक ऑफ़ आल ट्रेड’ साबित होने वाला है।