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Published: Feb 17, 2024 06:27 PM ISTINSAT-3DS LaunchingISRO ने लॉन्च किया मौसम संबंधी उपग्रह, अब समय से पहले मिलेगी आपदाओं की जानकारी
श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी रॉकेट के साथ तीसरी पीढ़ी के एक मौसम पूर्वानुमान संबंधी उपग्रह ‘इनसेट-3डीएस’ (INSAT-3DS) को लॉन्च किया। इस उपग्रह का उद्देश्य पृथ्वी की सतह और समुद्री अवलोकनों के अध्ययन को बढ़ावा देना है। 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी-एफ14 रॉकेट यहां से प्रक्षेपित किया गया। प्रक्षेपण को देखने के लिए एकत्र भीड़ ने रॉकेट के रवाना होने पर तालियां बजाकर खुशी जताई।
इसरो ने कहा कि 2,274 किलोग्राम वजनी उपग्रह भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) सहित पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत विभिन्न विभागों को सेवा प्रदान करेगा। एक जनवरी को पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसेट मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद 2024 में इसरो के लिए यह दूसरा मिशन है। इस उपग्रह का उद्देश्य पृथ्वी की सतह और समुद्री अवलोकनों के अध्ययन को बढ़ावा देना है। 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी-एफ14 रॉकेट यहां से प्रक्षेपित किया गया। मौजूदा मिशन के निदेशक ने कहा कि उपग्रह को सफलतापूर्वक निर्धारित कक्षा में स्थापित कर लिया गया है।
इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि इस सफलता ने अंतरिक्ष एजेंसी को ‘‘अधिक आत्मविश्वास” दिया है क्योंकि जीएसएलवी को अगली बार एनआईएसएआर मिशन में तैनात किया जाएगा, जो अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ एक सहयोगात्मक प्रयास है। प्रक्षेपण को देखने के लिए एकत्र भीड़ ने रॉकेट के रवाना होने पर तालियां बजाकर खुशी जताई। इसरो ने कहा कि 2,274 किलोग्राम वजनी उपग्रह भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) सहित पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत विभिन्न विभागों को सेवा प्रदान करेगा। मिशन का वित्त पोषण पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने किया है।
मिशन का उद्देश्य मौजूदा परिचालन इनसेट-3डी (2013 में प्रक्षेपित) और इनसेट-3डीआर (सितंबर 2016 में प्रक्षेपित) को मौसम संबंधी उन्नत पूर्वानुमानों, भूमि और महासागर सतहों की निगरानी और आपदा संबंधी चेतावनी के लिए सेवाओं को निरंतरता प्रदान करना है। तीन चरणों वाला यह प्रक्षेपण यान लगभग 20 मिनट की उड़ान के बाद योजना के अनुसार रॉकेट से अलग हो गया और उपग्रह को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया। एक जनवरी को पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसेट मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद 2024 में इसरो के लिए यह दूसरा मिशन है।