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Published: May 27, 2023 05:12 PM IST

Veer Savarkar Jayantiजानिए कौन थे वीर सावरकर और जानिए भारत की आज़ादी में उनका अनमोल योगदान

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
कंटेन्ट एडिटरनवभारत.कॉम

सीमा कुमारी

नई दिल्ली: आज वीर सावरकर जयंती (Veer Savarkar Jayanti) है। इतिहास के सबसे विवादित नामों में से एक हैं दामोदर दास सावरकर यानी वीडी सावरकर। वे एक ऐसा चेहरा हैं जिन्हें कोई हीरो तो कोई विलेन मानता है। वीर सावरकर का जन्म आज ही के दिन यानी 28 मई को 1883 में महाराष्ट्र के नासिक जिले के ग्राम भगूर में हुआ था। बीए पास करने के बाद वह वर्ष 1906 में इंग्लैंड चले गए और लंदन के इंडिया हाउस में रहते हुए क्रांतिकारी गतिविधियों के साथ लेखन कार्य में जुट गए। इंडिया हाउस उन दिनों राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र था जिसे पंडित श्यामजी चला रहे थे।

सावरकर ने ‘फ्री इंडिया’ सोसाइटी का निर्माण किया जिससे वह भारतीय छात्रों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने को प्रेरित करते थे। उनकी एक लेखक के तौर पर यहीं से पहचान बननी प्रारंभ हुई। वर्ष 1907 में ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ नामक पुस्तक लिखनी प्रारंभ की। उनके मन में आजादी की अलख जल रही थी। अपने जीवनकाल में संघर्षों के बाद भी उन्होंने विपुल लेखन किया।

भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई और भारत में हिंदूत्व का प्रचार-प्रसार करने का श्रेय क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर को जाता है। सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विवादास्पद व्यक्तित्व रहे हैं। जहाँ बहुत से लोग उन्हें महान क्रांतिकारी व देशभक्त मानते हैं। वहीं, ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो उन्हें सांप्रदायिक मानते हैं। उन्हें महात्मा गांधी की हत्या से जोड़ कर देखते हैं। सत्य जो भी हो तथ्य ये है कि हिन्दू राष्ट्र और हिंदुत्व की विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने का श्रेय सावरकर को ही जाता है।

सावरकर को वीर सावरकर के नाम से जाना जाता है। ‘वीर सावरकर जयंती’ विनायक दामोदर “वीर” सावरकर की याद में पूरे भारत में मनाई जाती है। वीर सावरकर को भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में से एक के रूप में जाना जाता है, सावरकर पूरे देश में हिंदू समुदाय के विकास के लिए कई गतिविधियों को करने के लिए जाने जाते हैं। वीर सावरकर जयंती प्रतिवर्ष 28 मई को मनाई जाती है।

13 मार्च 1910 को उन्हें लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया और मुकदमे के लिए भारत भेज दिया गया। हालांकि, जब उन्हें ले जाने वाला जहाज फ्रांस के मार्सिले पहुंचा, तो सावरकर भाग गए लेकिन फ्रांसीसी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 24 दिसंबर 1910 को उन्हें अंडमान में जेल की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने जेल में बंद अनपढ़ दोषियों को शिक्षा देने की भी कोशिश की।

नाथूराम गोडसे हिंदू महासभा के सदस्य थे। हालांकि विट्ठल भाई पटेल, तिलक और गांधी जैसे महान नेताओं की मांग से सावरकर को रिहा कर दिया गया और 2 मई, 1921 को भारत वापस लाया गया। लेकिन वीर सावरकर पर महात्मा गांधी की हत्या के मामले में भारत सरकार द्वारा आरोप लगाया गया था। बाद में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था। 26 फरवरी 1966 को 83 वर्ष की आयु में सावरकर पंचतत्वों में विलीन हो गए थे।