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Published: Nov 10, 2023 11:14 PM IST

Land for Job Scamनौकरी के बदले भूमि घोटाला: ED ने लालू प्रसाद के परिवार के ‘सहयोगी' को लिया हिरासत में

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ‘नौकरी के बदले भूमि घोटाले’ से जुड़े मामले (Land for Job Scam ) की जांच के सिलसिले में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad Yadav) और उनके बेटे तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) के कथित सहयोगी अमित कात्याल (Amit Katyal) को शुक्रवार को हिरासत में ले लिया। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सूत्रों ने दावा किया कि एजेंसी द्वारा पूछताछ के लिए जारी किये गए समन से कात्याल करीब दो महीनों से बच रहे थे। ईडी के अधिकारियों ने उन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत दिल्ली से हिरासत में लिया। कात्याल के परिसरों पर संघीय एजेंसी ने मार्च में छापा मारा था, जब लालू, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव,उनकी बहनों और अन्य के परिसरों में तलाशी ली गई थी।

ईडी के अनुसार, कात्याल राजद प्रमुख के करीबी सहयोगी होने के साथ-साथ एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व निदेशक भी हैं। एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड मामले में कथित ‘‘लाभार्थी कंपनी” है और इसका पंजीकृत कार्यालय दक्षिण दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित एक आवासीय भवन है, जिसका इस्तेमाल तेजस्वी करते हैं। कथित घोटाला उस समय का है, जब लालू संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार-1 में रेल मंत्री थे।

आरोप है कि 2004 से 2009 तक, भारतीय रेलवे के विभिन्न जोन में ‘ग्रुप डी’ के पदों पर कई लोगों को नियुक्त किया गया था और इसके बदले में, इन लोगों ने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की थी। पीएमएलए की आपराधिक धाराओं के तहत दर्ज किया गया ईडी का मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एक शिकायत से उपजा है।

सीबीआई के अनुसार, नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, लेकिन पटना में रहने वाले कुछ लोगों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में विभिन्न ‘जोनल रेलवे’ में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था। सीबीआई के आरोप के अनुसार, इसके एवज में, उम्मीदवारों ने सीधे या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से, लालू परिवार के सदस्यों को मौजूदा बाजार मूल्य से काफी कम दर पर कथित तौर पर जमीन बेची थी।