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Published: Dec 28, 2020 04:10 PM ISTLook Back 2020"सीता सहित अनुज प्रभु आवत..."- जब आरंभ हुआ मंदिर निर्माण
नई दिल्ली: साल 2020 में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं. जिसकी गूंज पूरे विश्व में सुनी गई। इन्हीं में से एक है, करोड़ों लोगों के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम ‘श्री राम’ का अयोध्या (Ayodhya) में मंदिर निर्माण शुरू होना। 9 नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान खंडपीठ (Constitution Bench) के तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) के नेतृत्व वाली पीठ ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र (Shri Ram Janma Teerath Kshetra) के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसी के साथ सरकार (Central Government) को मंदिर निर्माण करने के लिए तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था। उच्चतम न्यायालय के इस आदेश के बाद राम मंदिर (Shri Ram Temple) बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
केंद्र सरकार ने ट्रस्ट बनाने की घोषणा की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बुधवार 05 फरवरी 2020 को लोकसभा में राम मंदिर पर चर्चा के दौरान घोषणा की कि राम मंदिर के लिए बनने वाले ट्रस्ट का नाम ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ होगा। इस ट्रस्ट में कुल १५ सदस्य होंगे। ट्रस्ट द्वारा बनाए नियम के मुताबिक, इसमें 10 स्थायी सदस्य हैं, जिन्हें वोटिंग का अधिकार होगा, बाकी के पांच सदस्यों को वोटिंग का अधिकार नहीं है, एक ट्रस्टी हमेशा दलित समाज से रहेगा। लगभग सभी सदस्यों के हिंदू होने की अनिवार्यता भी रखी गई है।
के. पराशरण बने ट्रस्ट के चेयरमैन
ट्रस्ट बनने के बाद केंद्र सरकार ने अदालत में रामलला के वकील रहे के.पराशरण (K. Parasharan) को ट्रस्ट का चेयरमैन नियुक्त किया। जिसकी घोषणा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने की। इसी के साथ ट्रस्ट के अन्य ट्रस्टियों के नाम की भी घोषणा की गई. जिसमें जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज (प्रयागराज), जगतगुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज (पेजावर मठ, उडुपी) युगपुरुष परमानंद जी महाराज (हरिद्वार), स्वामी गोविंददेव गिरि जी महाराज (पुणे), बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, डॉ अनिल कुमार मिश्र, कामेश्वर चौपाल, महंत दिनेंद्र दास, केंद्र सरकार का आईएएस अधिकारी, राज्य सरकार का आईएएस अधिकारी, अयोध्या के डीएम शामिल हैं।
महंत नृत्य गोपाल दास बने विकास समिति के चेयरमैन
सरकार द्वारा ट्रस्ट के सदस्यों के नाम घोषित करने के बाद 19 मार्च को राजधानी दिल्ली में पहली बैठक हुई। इस बैठक में महंत नृत्य गोपाल दास को राम मंदिर निर्माण के लिए बनाई प्रशासनिक और विकास समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं, विश्व हिंदू परिषद (VHP) नेता चंपत राय को ट्रस्ट का महासचिव बनाया गया है। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्र को राम मंदिर भवन निर्माण समिति का चेयरमैन और गोविंद देव गिरि को ट्रस्ट का कोषाध्यक्ष नामित किया गया है।
रामलला टेंट से निकल कर स्थाई मंदिर में विराजे
25 मार्च 2020 को भगवान राम की मूर्ति को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Aditynath) की उपस्थिति में रामलला, माता सीता, लक्षमण सहित हनुमान की मूर्ति को टेंट से निकाल कर फाइबर से बने एक अस्थाई मंदिर में रखा गया। 28 साल के बाद रामलला टेंट से निकले थे। उन्हें खुद मुख्यमंत्री योगी ने अपने हांथो से उठाकर अस्थाई मंदिर तक लेकर गए. उसके पहले मंदिर का शुद्धिकरण किया गया।
175 लोगों को भेज गाया निमंत्रण
भूमिपूजन समारोह में ट्रस्ट के सभी सदस्य, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, नेपाल स्थित जानकी मंदिर के महंत, विएचपी के दिवंगत नेता अशोक सिंघल के भाई के बेटे सलिल सिंघल, काशी विद्वत परिषद के पंडित राम नारायण द्विवेदी, पंडित विनय पांडेय, काशी विद्वत परिषद उपाध्यक्ष रामचन्द्र पांडेय, बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी, पद्मश्री मोहम्मद शरीफ शामिल हैं। इसी के साथ राम मंदिर आंदोलन में शामिल लालकृष्ण अडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी सहित कई बड़े नेताओं को भी बुलाया था, लेकिन कोरोना वायरस के वजह से वह समारोह में शामिल नहीं हो पाए थे. इस समारोह में देश और दुनिया से कुल 175 लोगों को बुलाया गया था।
मंदिर और नदियों का जल लाया गया
इसके पहले चार अगस्त को रामार्चन की पूजा की गई, साथ ही सभी देवी देवताओं को भूमिपूजन समारोह में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया। मंदिर निर्माण के लिए देश की सभी बड़ी धार्मिक जगहों, राष्ट्रीय महत्व की जगहों और पवित्र नदियों से मिट्टी और पानी लाया गया। 2000 से अधिक तीर्थ स्थानों से पवित्र मिट्टी और 100 से अधिक नदियों से पवित्र जल भूमि पूजन के लिए अयोध्या आ चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया भूमिपूजन
राम मंदिर निर्माण की आधिकारिक शुरुआत पांच अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमि पूजन के बाद हुई। ट्रस्ट ने तीन दिवसीय वैदिक अनुष्ठान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भूमिपूजन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर की अधिरशिला 40 किलों की चांदी की ईंट रख कर की। इस दौरान पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रों का जाप किया।