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Published: May 09, 2021 02:52 PM IST

Big Newsचीन का जीना होगा हराम,अब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत करेगा 6 परमाणु पनडुब्बी तैनात

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नयी दिल्ली. एक तरफ भारत (India) और चीन के मध्य गलवान वैली को लेकर पहले से ही मनमुटाव है।  वह अब हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region) पर  भारत भी अपना दबदबा बनाने को अग्रसर है।  लेकिन पडोसी देश चीन (China) की नजरें हमेशा से ही इस क्षेत्र पर टिकीं होती है, वहीं यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन पहले ही इस क्षेत्र के लिए लगातार रणनीति तैयार कर कर रहा है।  

लिहाजा भारत ने अब इन समुद्र में चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सक्षम हो इसलिए भारतीय नौसेना ने सरकार को छह परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों (SSN) के निर्माण की जरूरतों के बारे में बताया है।  बता दें कि नौसेना के प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने इसी साल 4 मार्च को गुजरात के केवडिया में संयुक्त कमांडर कॉन्फ्रेंस के बाद भारतीय नौसेना के ऑपरेशन समुद्र सेतु II की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके बारे में पूरी जानकारी दी थी । 

इतना तो तय है है कि परमाणु चालित पनडुब्बियों से भारतीय नौसेना को अपनी स्थिति मजबूत करने में और भी ज्यादा मदद होगी, वे इससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भी जरुरी गश्ती कर सकती है।  कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के नौसेना का यह भी कहना है  कि “हमारी नजरें न केवल इंडो-पैसिफिक में है, बल्कि आर्कटिक मार्ग भी है, जो बर्फ के पिघलने के चलते अब खुलने वाला है। “

कुछ दुसरे एक्सपर्ट्स की मानें तो  चीनी नौसेना की ताकत का मुकाबला करने के लिए भारत भी अब  तैयार है।  वहीं परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों की इस योजना को भारतीय नौसेना द्वारा चीन की नौसेना की बढ़ती ताकत का मुकाबला करने के लिए ही एक जरुरी ठोस कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए।  

पता हो कि चीनी नौसेना की ताकत लगातार बढ़ती ही जा रही है।  इतना ही नहीं युद्धपोत जहाजों की संख्या के मामले में अब चीन ने अमेरिकी नौसेना को भी पीछे कर दिया है।  लेकिन भारत के पास फिलहाल केवल एक SSN है और एक 2025 से पहले लीज पर आने की उम्मीद है।  SSN खाद्य आपूर्ति और दूसरे लॉजिस्टिक्स के अलावा हथियारों और मिसाइलों के साथ लंबी दूरी की गश्त के लिए जरूरी होता है।  

वहीं फिलहाल  भारत के पास एक अकुला श्रेणी का SSN है, जो फिलहाल रूस से लीज पर लिए गए हैं।  इस डील को लेकर भारतीय नौसेना की कोई ख़ास प्राथमिकता नहीं है।  इधर फ्रांसीसी नौसेना समूह SSN परियोजना के लिए प्रमुख दावेदारों में से एक है क्योंकि 1998 के परमाणु परीक्षण अनुमोदन दिनों के बाद से फ्रांस भारत के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से एक रहा है।  फिलहाल तो भारत अपने लंबित SSN कि राह तक रहा है, जो जल्द ही उसे मिलने वाली है, जिससे अब वह भी चीन से जरुरत पड़ने पर लोहा ले सके ।