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Published: Jun 02, 2020 09:03 PM IST

लॉकडाउन सड़क हादसा लॉकडाउन के दौरान सड़क हादसों में करीब 200 श्रमिकों ने जान गंवायी : एनजीओ

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

नयी दिल्ली. गैर लाभकारी संगठन सेव लाइफ फाउंडेशन का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान करीब 200 प्रवासी श्रमिकों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो गयी और इसके विभिन्न कारणों में से एक, वाहनों की तेज रफ्तार रही। देश में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने की दिशा में कार्यरत इस गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने एक बयान में कहा कि प्रवासी श्रमिकों की सर्वाधिक मौत पांच राज्यों–उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, तेलंगाना और महाराष्ट्र में हुई। उसने कहा, ‘‘ जब से लॉकडाउन शुरू हुआ तब से करीब 200 श्रमिक घर के लिए पैदल जाते हुए, साइकिल से जाते हुए, भारी एवं हल्के वाहनों में सफर करते हुए… तथा सरकारी बसों से यात्रा करते समय अपनी जान गंवा बैठे।

ज्यादातर घटनाओं में बड़ी संख्या में हताहत होने की वजह तेज रफ्तार और लगातार ड्राइविंग के चलते ड्राइवर की थकान रही।” एनजीओ ने कहा कि उसने लॉकडाउन के दौरान प्रकाशित विभिन्न प्रिंट और ऑनलाइन मीडिया खबरों के आधार पर यह आंकड़ा तैयार किया एवं स्रोतों से उसकी पुष्टि की। उसके अनुसार उत्तर प्रदेश में 94 मजूदरों की, मध्यप्रदेश में 38 मजदूरों की, बिहार में 16 मजदूरों की, तेलंगाना में 11 मजदूरों की तथा महाराष्ट्र में नौ मजदूरों की सड़क हादसों में मौत हुई।

बयान के अनुसार लॉकडाउन के चारों चरणों में चौथा चरण सबसे घातक था जबकि तीसरा चरण खासकर प्रवासी श्रमिकों के लिए सर्वाधिक घातक रहा। गैर लाभकारी संगठन के मुताबिक लॉकडाउन में मजदूरों की कुल मौत में 60 फीसद मौत तीसरे चरण में जबकि 19 फीसद मौत चौथे चरण में हुई। उसने कहा, ‘‘ 25 मार्च और 31 मई, 2020 के बीच लॉकडाउन में कम से कम 1461 हादसे हुए। उनमें 198 मजूदरों समेत कम से कम 750 लोगों की मौत हुई। ये मजदूर घर जा रहे थे। इन दुर्घटनाओं में 1390 लोग घायल हुए। यह आंकड़ा मीडिया और विभिन्न स्रोतों से पुष्टि होने के आधार पर तैयार किया गया है।”