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Published: Dec 08, 2021 05:54 AM IST

Guilty NDPS अधिनियम के तहत दोषी पाए गए आरोपियों से कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए: SC

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
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नई दिल्ली:  उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ (NDPS) अधिनियम के तहत यदि कोई आरोपी अपराध का दोषी पाया जाता है तो उसके प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई जानी चाहिए क्योंकि वे कई निर्दोष युवा पीड़ितों की मौत का कारण बनते हैं।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 427 के तहत विवेकाधिकार लागू करते हुए यह उस आरोपी के पक्ष में नहीं होगा जो नशीले पदार्थों की अवैध तस्करी में लिप्त पाया जाता है। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा, “एक ऐसे आरोपी के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई जानी चाहिए जो एनडीपीएस अधिनियम के तहत अपराध के लिए दोषी पाया जाता है। वे व्यक्ति जो नशीले पदार्थों का कारोबार कर रहे हैं, वे मौत का कारण बनते हैं या निर्दोष युवा पीड़ितों को मौत का दंश देने का काम करते हैं जो कमजोर हैं। ऐसे आरोपी समाज पर हानिकारक और घातक प्रभाव डालते हैं।”

पीठ ने कहा, “वे समाज के लिए एक खतरा हैं। इस देश में मादक दवाओं और मन:प्रभावी पदार्थों की गुप्त तस्करी और ऐसी दवाओं और पदार्थों की अवैध तस्करी की इस तरह की संगठित गतिविधियों का समग्र रूप से समाज पर घातक प्रभाव पड़ता है। इसलिए, सजा या सजा देते समय एनडीपीएस अधिनियम के मामले में, समग्र रूप से समाज के हित को ध्यान में रखना आवश्यक है।”

पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ मोहम्मद जाहिद द्वारा दायर एक अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया था और एनडीपीएस अधिनियम के तहत 1.5 लाख रुपये के जुर्माने के साथ 15 साल की सजा सुनाई थी।

पीठ ने कहा, “एनडीपीएस अधिनियम के तहत अपराधों को देखते हुए, जो प्रकृति में बहुत गंभीर हैं और बड़े पैमाने पर समाज के खिलाफ हैं, ऐसे अभियुक्तों के पक्ष में किसी भी नरमी का प्रयोग नहीं किया जाएगा जो एनडीपीएस अधिनियम के तहत अपराध में लिप्त हैं।” (एजेंसी)