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Published: Oct 27, 2021 08:37 PM ISTPegasus Spy ControversySC ने विशेषज्ञ समिति की निगरानी के लिए पूर्व न्यायाधीश रवींद्रन को किया नियुक्त
नई दिल्ली: पेगासस जासूसी मामले (Pegasus Spy Controversy) में जांच की निगरानी के लिए नियुक्त किये गये उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजू वरदराजुलू रवींद्रन (Raju Varadarajulu Ravindran) उन पीठों का हिस्सा रहे हैं जिन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण को लेकर विवाद, 1993 के मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट और प्राकृतिक गैस को लेकर कृष्णा-गोदावरी नदीघाटी विवाद जैसे बड़े मामलों में सुनवाई की।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने पेगासस स्पाईवेयर के इस्तेमाल से भारत में कुछ लोगों की जासूसी के आरोपों पर जांच करने के लिए साइबर विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति की नियुक्ति की और न्यायमूर्ति रवींद्रन को राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले में जांच के लिए निगरानी का कार्य सौंपा।
न्यायमूर्ति रवींद्रन का जन्म 15 अक्टूबर, 1946 को हुआ था और मार्च, 1968 में अधिवक्ता के रूप में उनका पंजीकरण हुआ था। उन्हें 22 फरवरी, 1993 को कर्नाटक उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और आठ जुलाई, 2004 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उन्हें नौ सितंबर, 2005 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 15 अक्टूबर, 2011 को वह सेवानिवृत्त हो गये।
न्यायमूर्ति रवींद्रन 2013 में न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स ऑथोरिटी (एनबीएसए) के अध्यक्ष रहे। सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गयी हैं। वह न्यायमूर्ति आर एम लोढा समिति के सदस्य भी रहे जिसने बीसीसीआई में कुछ ढांचागत सुधारों की सिफारिश की थी। (एजेंसी)