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Published: Oct 21, 2021 07:00 AM IST

Police Smriti Divas 2021Police Commemoration Day 2021: जाने आखिर क्यों मनाया जाता है पुलिस स्मृति दिन?

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

Police Commemoration Day 2021: देश की सीमा की रक्षा में लगे सैन्य बलों के बलिदान की हमने कई कहानियां सुनी होंगी। जहां सैनिकों ने अपने सिने पर गोली खाकर इसी के साथ अपने सहस और शौर्य से दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए। एक ओर जहां सेना अपने शौर्य के लिए जानी जाती है, वहीं हमारी पुलिस भी कम नहीं है। पुलिसकर्मियों ने अपने शौर्य और बलिदान से इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज कर चुके हैं। ऐसे ही एक घटना 1959 में हुआ था जब पुलिसकर्मी पीठ दिखाने के बजाय चीनी सैनिकों की गोलियां सीने पर खाकर शहीद हुए। चीन के साथ देश की सीमा की रक्षा करते हुए जो बलिदान दिया था, उसकी याद में हर साल पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है।

भारत-तिब्बत सीमा की रक्षा

20 अक्टूबर, 1959 को तीसरी बटालियन की एक कंपनी को उत्तर पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स नाम के स्थान पर तैनात किया गया था। कंपनी को 3 टुकड़ियों में बांटकर सीमा की सुरक्षा, निगरानी और चौकसी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सीमा की गश्त के लिए आगे तक गई दो टुकड़ी के सदस्य उस दिन दोपहर बाद तक लौट आए। लेकिन तीसरी टुकड़ी के सदस्य नहीं लौटे। उस टुकड़ी में दो पुलिस कॉन्स्टेबल और एक पोर्टर शामिल थे। अगले दिन सभी जवानों को इकट्ठा किया गया और गुमशुदा लोगों की तलाश के लिए एक टुकड़ी का गठन किया गया।

पीछे से चीनी सैनिकों ने किया हमला

गुमशुदा पुलिसकर्मियों की तलाश में डीसीआईओ करम सिंह के नतृत्व में वह टुकड़ी 21 अक्टूबर, 1959 रवाना हुई। उस टुकड़ी में करीब 20 पुलिसकर्मी शामिल थे। कर्म सिंह घोड़े पर सवार थे जबकि बाकी पुलिसकर्मी पैदल थे। पैदल सैनिकों को 3 टुकड़ियों में बांट दिया गया था। दोपहर के समय जैसे ही आईटीबीपी के जवान एलएसी के पास पहुंचे तभी पीछे से चीन के सैनिकों ने गोलियां चलाना और ग्रेनेड्स फेंकना शुरू कर दिया। चूंकि पुलिसकर्मी खुद की सुरक्षा का कोई उपाय नहीं करके गए थे, इसलिए ज्यादातर सैनिक घायल हो गए।

उस हमले में हमारे 10 वीर पुलिसकर्मी शहीद हो गए जबकि सात अन्य घायल हुए। सात घायल पुलिसकर्मियों को चीनी सैनिक बंदी बनाकर ले गए जबकि बाकी अन्य पुलिसकर्मी वहां से निकलने में कामयाब रहे। 13 नवंबर, 1959 को शहीद हुए दस पुलिसकर्मियों का शव चीनी सैनिकों ने लौटाया। उन पुलिसकर्मियों का अंतिम संस्कार हॉट स्प्रिंग्स में पूरे पुलिस सम्मान के साथ हुआ।

स्मृति दिवस मनाने का फैसला

जनवरी 1960 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिरीक्षकों का वार्षिक सम्मेलन हुआ। उस सम्मेलन में लद्दाख में शहीद हुए उन वीर पुलिसकर्मियों और साल के दौरान ड्यूटी पर जान गंवाने वाले अन्य पुलिसकर्मियों को सम्मानित करने का फैसला लिया गया। उनके सम्मान में हर साल 21 अक्टूबर को ‘स्मृति दिवस’ मनाने का फैसला हुआ।

पुलिस मेमोरियल

हॉट स्प्रिंग्स में एक पुलिस स्मारक बनाने का फैसला भी किया गया था। यह बात भी तय हुई थी कि हर साल देश के विभिन्न हिस्सों से पुलिस बलों के जवान हॉट स्प्रिंग्स की यात्रा करेंगे और उन वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। साल 2012 से पुलिस स्मृति दिवस परेड का आयोजन पुलिस मेमोरियल, चाणक्यपुरी में राष्ट्रीय स्तर पर होता है।