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Published: Oct 01, 2022 05:10 PM IST

Ease of Livingप्रधानमंत्री ने साबित किया, इज आफॅ लिविंग से जुड़े मंत्रालयों में नौकरशाहों की नियुक्ति का फैसला था सही

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
Photo - Twitter/ANI

नई दिल्ली: देश में 5जी सेवा लांच होने के बाद यह बहस तेज हो गई है कि क्या प्रधानमंत्री का इज आफॅ लिविंग से जुड़े मंत्रालयों में मंत्री के रूप में पेशेवर राजनेताओं की जगह नौकरशाहों को लाना सही था।  देश में 5जी सेवा लांच होने के बाद यह कहा जा सकता है कि एक हद तक यह फैसला समयोचित था।  इसकी वजह यह है कि जिस तरह से उर्जा मंत्रालय में आरके सिंह, विदेश मंत्रालय में एस जयशंकर, शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय में हरदीप पुरी और रेलवे तथा दूरसंचार मंत्रालय में अश्वनी वैष्णव ने अपना कौशल दिखाया है।

उससे यह साफ प्रतीत होता है कि इन नौकरशाहों को मंत्री के रूप में लाकर प्रधानमंत्री ने अपने मिशन 2024 को गति देने का कार्य किया था।  इन सभी नौकरशाहो में अश्वनी वैष्णव अपना विशिष्ट स्थान बनाते हुए भी दिख रहे हैं।  सभी के साथ संवाद के लिए सहर्षता रखने और किसी भी स्तर से सलाह हासिल करने के प्रति खुला विचार रखने की वजह से उनके मंत्रालयो में जिस गति से काम हो रहा है।  उसकी चर्चा सराकर में सभी कर रहे हैं।  उनके साथ कई उपलब्धियां भी लगातार जुड़ रही है। 

इसमें एक ओर जहां देश के कई स्टेशनों का रिडेवलपमेंट ड्राइंग बोर्ड से उतरकर जमीन पर आना है।  वहीं, देश को पहली स्वदेशी तकनीक आधारित सेमि—बुलेट ट्रेन वंदे भारत को गति देना और उसके उपरांत समय से बिना किसी व्यवधान और इंडस्ट्री विरोध के पहले 5जी स्पेक्ट्रम की रिकार्ड बिक्री, डेढ़ लाखा करोड़ की सरकार को प्राप्ति, के बाद समय से 5जी सेवा की लांच उनके चयन को सही ठहराती है। 

भाजपा सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूर की सोचते हैं।  वह जानते हैं कि राजनीति आने वाले समय में विकास के मुददे से आगे जाएगी।  लोगों को आवागमन, बिजली, आवास जैसे मुददों पर इज आफॅ लिविंग या सहूलियत का सर्वोत्तम स्तर चाहिए।  वह यह भी जानते हैं कि कई बार राजनेताओं को अधिकारी अपनी बातों में इस तरह प्रभावित करते हैं कि उससे सरकार की योजनाएं प्रभावित हो जाती है। उसमें विलंब हो जाता है। लेकिन नेता को लगता है कि उनके अमुक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है। ऐसे में योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी या उनको ठंडे बस्ते में डालना उचित ही होगा। 

संभवत: इसी सोच के साथ उन्होंने जीवन का प्रभावित करने वाले उर्जा, आवास, रेलवे और दूरसंचार मंत्रालय में नौकरशाहों को नियुक्त करने का फैसला किया।  विदेश मंत्रालय क्योंकि दुनिया से देश को जोड़कर रखता है।  इस समय के परिदृश्य में विदेश मंत्रालय की अहमियत और बढ़ जाती है क्योंकि आर्थिक और कूटनीतिक हलचल की वजह से इसकी भूमिका बढ़ गइ है।  जिस वजह से उन्होंने विदेश सेवा से ही आने वाले एस जयशंकर को इसका प्रभारी मंत्री बनाया।  उनके अनुभव का लाभ भी सरकार को मिल रहा है। 

प्रधानमंत्री जानते थे कि अगले चुनाव में सबसे अहम मुददा बिजली, घर, रेल और दूरसंचार होगा।  यही वजह है कि उन्होंने इन मंत्रालयों में भी नौकरशाहों की नियुक्ति की।  जिससे अगले चुनाव तक हर गांव तक मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंचाने और देश को नवीनतम तकनीक व स्पीड आधारित रेल देने का कार्य कर लोगों का दिल जीता जा सके।  ऐसा  नहीं था कि रविशंकर प्रसाद अपने मंत्रालय में सही काम नहीं कर रहे थे या उनसे प्रधानमंत्री की कोई नाराजगी थी।  लेकिन प्रधानमंत्री नहीं चाहते थे कि अफसरशाही के फैसलों से इन मंत्रालयो का काम प्रभावित हो।  हर बार उनको दखल देना पड़े। 

यही वजह है कि उन्होंने दूरसंचार, रेलवे, सूचना प्रौदयोगिकी मंत्रालय का दायित्व अश्वनी वैष्णव को दिया।  उन्होंने एक के बाद एक कई कार्य समय पर कर अपनी नियुक्ति को उचित भी साबित किया।  इसी तरह से आवास मंत्रालय में हरदीप पुरी ने पीएम ग्राम आवास योजना, शहरी अवास योजना, स्वच्छता मिशन जैसे कार्यक्रमों को बिना किसी व्यवधान के गति प्रदान की।  जबकि उर्जा मंत्रालय में आरके सिंह, जो पूर्व में केंद्रीय गृह सचिव भी रहे हैं, ने हर गांव तक बिजली पहुंचाने, किसानों को सोलर आधारित पंप और यंत्र देने जैसी कई योजनाओं को समय से पूरा किया। 

भाजपा के इस नेता ने कहा कि ये नौकरशाह फाइल देखते ही समझ जाते हैं कि उनके कनिष्ठ या वरिष्ठ अधिकारी कहां पर गलती कर रहे हैं या उनको सही तस्वीर नहीं दिखा रहे हैं।  जिससे इन मंत्रालयों में नौकरशाही की वजह से योजाएं लंबित नहीं हो रही है।  ये सभी मंत्रालय ऐसे हैं।  जो आम चुनाव में सीधे वोट को प्रभावित करते हैं।  ऐसे में नौकरशाहों की निुयक्ति् कर प्रधानमंत्री ने बड़े स्तर पर अपने लक्ष्य को भी साधने का प्रयास किया है।