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Published: Apr 29, 2022 10:24 AM ISTCoal Crisisरेलवे का बड़ा कदम, बिजली संयंत्रों में ‘कोयला संकट’ के चलते पैसेंजर ट्रेनों के 670 फेरे रद्द
नई दिल्ली. जहाँ एक तरफ कोयले की कमी को लेकर और गहराते संकट के बीच, अब भारतीय रेलवे (Indian Railway) भी बड़ा कदम उठा रही है। दरअसल बिजली की भारी मांग के चलते कोयले की आवश्यकता भी बढ़ गई है। जिसके चलते अब भारतीय रेलवे को पिछले कुछ हफ्तों में प्रतिदिन लगभग 16 मेल/एक्सप्रेस और यात्री ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है ताकि देश भर में स्थित बिजली संयंत्रों के लिए कोयला ले जाने वाली ट्रेनों को अतिरिक्त रास्ता दिया जा सके। वहीं रेल मंत्रालय ने बीते 24 मई तक यात्री ट्रेनों के लगभग 670 फेरों को रद्द करने की अधिसूचना जारी कर दी है।
गौरतलब है कि इनमें से 500 से अधिक यात्राएं लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए हैं। वहीं रेलवे ने कोयले की रेलगाड़ियों की औसत दैनिक लोडिंग 400 से अधिक तक बढ़ा दी है, जो बीते पांच वर्षों में अब तक का सबसे अधिक है। अन्य मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर (भारतीय रेल) ने मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए रोजाना 415 कोयला रेक (ट्रेनें) उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्धता जताई है, जिनमें से प्रत्येक में लगभग 3,500 टन कोयला ले जाया जा सकता है।
वहीं सूत्रों के अनुसार बिजली संयंत्रों में स्टॉक में सुधार और जुलाई-अगस्त में किसी भी संकट से बचने के लिए यह कवायद कम से कम दो महीने तक जारी रहेगी, तब तक, जब तक कि बारिश के कारण कोयला खनन कम से कम न हो जाए।
रेल मंत्रालय के अनुसार, ” विभिन्न राज्यों में यात्री ट्रेनों को रद्द करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है क्योंकि तत्काल आवश्यकता यह सुनिश्चित करने की है कि बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी न हो और कोई ब्लैक आउट न हो। यह एक दुविधा से भरी कठिन परिस्थिति है। साथ ही हम इस अस्थायी संकट से उबरने की उम्मीद करते हैं।”
वहीं रेलवे मंत्रालय के अनुसार चूंकि बिजली संयंत्र देश भर में स्थित हैं, इसलिए रेलवे को लंबी दूरी की ट्रेनें चलानी पड़ती हैं। जिसके चलते बड़ी संख्या में कोयला रेक 3-4 दिनों के लिए सफर में रहते हैं। घरेलू कोयले का एक बड़ा हिस्सा पूर्वी क्षेत्र से भारत के उत्तरी, मध्य और पश्चिमी भागों में भी ले जाया जाता है। ऐसे में थोडा मुश्किल बढ़ना स्वाभाविक है।