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Published: Apr 17, 2024 08:34 AM IST

Ram Lalla Surya Tilak अयोध्या में भक्तों की भीड़! जानें आज सूर्यदेव कैसे करेंगे रामलला का 'सूर्य तिलक'

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
आज राम नवमी पर रामलला का सूर्य अभिषेक

नई दिल्ली/अयोध्या: आज देशभर में रामनवमी (Ramnavami 2024) पूरे जोरशोर से मनाई जा रही है। लेकिन इस बार रामनवमी बहुत ही खास है। जी हां, अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mnadir) बनने और प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार रामनवमी है। वहीं आज दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर रामलला का सूर्य तिलक होगा जो सभी के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होगा। आज दोपहर 12 बजकर 16 मिनट से सूर्य तिलक का आयोजन शुरू हो जाएगा। वहीँ करीब 4 मिनटों तक सूर्य देव प्रभु राम के मस्तक पर सूर्य अभिषेक करेंगे। उससे पहले आज मंगला आरती हुई।

आज श्री रामलला का ‘सूर्य तिलक’
जी हाँ, भगवान श्री रामलला के ‘सूर्य तिलक’ के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। आज रामनवमी के दिन दोपहर के समय सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी और दर्पण व लेंस से जुड़े एक विस्तृत तंत्र द्वारा उनका ‘सूर्य तिलक’ संभव हो सकेगा। वहीं इस प्रणाली का परीक्षण वैज्ञानिकों ने बीते मंगलवार को किया। इसे ”सूर्य तिलक परियोजना” का नाम दिया गया है। सूर्य तिलक परियोजना के तहत हर साल चैत्र माह में श्री रामनवमी पर दोपहर 12 बजे से भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की रोशनी से तिलक किया जाएगा । इस नियोजित तिलक का आकार 58 मिमी है।

मंदिर के अंदर और बाहर भी LED में भक्त करेंगे दर्शन
वहीँ रामलला के मस्तक के केंद्र पर तिलक लगाने की सही अवधि लगभग तीन से साढ़े तीन मिनट है, जिसमें दो मिनट पूर्ण रोशनी होती है। इस सूर्य तिलक के दौरान, भक्तों को राम मंदिर के अंदर जाने की अनुमति दी जाएगी। इसके लिए मंदिर ट्रस्ट द्वारा लगभग 100 LED और सरकार द्वारा 50 LED लगाई गयीं हैं। जो रामनवमी समारोह को दिखाएगा, लोग जहां मौजूद हैं वहां से उत्सव देख सकेंगे।

बादल होने से क्या होगा ‘सूर्य तिलक’
आप सोच रहे होंगे कि, अगर आज आकाश में बादल छाए रहने की स्थिति में सूर्य तिलक का क्या होगा। तो जानिये यही तो भक्ति है। ऐसे में वैज्ञानिकों नकी मानें तो वे लोगों की आस्था और विश्वास के कारण कृत्रिम रोशनी के साथ ऐसा नहीं करना चाहते हैं।

‘सूर्य तिलक’ के लिए एक ख़ास तंत्र

जानकारी दें कि, रुड़की की टीम ने भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बैंगलोर के परामर्श से मंदिर की तीसरी मंजिल से गर्भगृह तक सूर्य के प्रकाश को पहुंचाने के लिए एक तंत्र विकसित किया है। गर्भगृह में सूर्य की रोशनी लाने के लिए विस्तृत संपूर्ण डिज़ाइन सीबीआरआई द्वारा विकसित किया गया है, जिसमें आईआईए ऑप्टिकल डिजाइन के लिए अपना परामर्श प्रदान किया है। सूर्य तिलक के लिए राम मंदिर में ऑप्टो-मैकेनिकल प्रणाली लागू करने से पहले, रुड़की इलाके के लिए उपयुक्त एक छोटा मॉडल सफलतापूर्वक मान्य किया गया है। मार्च 2024 में बेंगलुरु में ऑप्टिका साइट पर एक पूर्ण पैमाने के मॉडल को सफलतापूर्वक मान्य किया गया है।

कैसे होगा ‘सूर्य तिलक’ संपन्न

वहीं रुड़की टीम ने आईआईए बैंगलोर और ऑप्टिका बैंगलोर के साथ मिलकर अप्रैल के पहले सप्ताह में इंस्टॉलेशन पूरा कर लिया है और बार-बार परीक्षण किए गए हैं।जानकारी दें कि, सूर्य तिलक के लिए ऑप्टो-मैकेनिकल सिस्टम के बारे में ऑप्टो-मैकेनिकल सिस्टम में चार दर्पण और चार लेंस होते हैं जो झुकाव तंत्र और पाइपिंग सिस्टम के अंदर फिट होते हैं। दर्पण और लेंस के माध्‍यम से सूर्य की किरणों को गर्भगृह की ओर मोड़ने के लिए झुकाव तंत्र के लिए एपर्चर के साथ पूरा कवर शीर्ष मंजिल पर रखा गया है। अंतिम लेंस और दर्पण सूर्य की किरण को पूर्व की ओर मुख किये हुए श्रीराम के माथे पर केंद्रित करते हैं। वहीँ सूरज की रोशनी के बिखरने से बचने के लिए पाइपों, कोहनियों और बाड़ों की भीतरी सतह पर काले पाउडर का लेप लगाया गया है। इसके अलावा, शीर्ष एपर्चर पर, आईआर (इन्फ्रा रेड) फिल्टर ग्लास का उपयोग सूर्य की गर्मी की लहर को मूर्ति के मस्तक पर पड़ने से रोकने के लिए किया जाता है।

कौन-कौन है शामिल
जानकारी दें कि, सीएसआईआर-सीबीआरआई रुड़की की टीम में डॉ। एसके पाणिग्रही, डॉ। आरएस बिष्ट, कांति सोलंकी, वी चक्रधर, दिनेश और समीर शामिल हैं। प्रोफेसर आर प्रदीप कुमार (निदेशक, सीएसआईआर-सीबीआरआई) ने परियोजना का मार्गदर्शन किया। तो वहीँ आईआईए बेंगलुरु की ओर से डॉ। अन्ना पूर्णी एस (निदेशक आईआईए), एर एस श्रीराम और प्रोफेसर तुषार प्रभु सलाहकार हैं। ऑप्टिका के प्रबंध निदेशक राजिंदर कोटारिया और उनकी टीम नागराज, विवेक, थावा कुमार निर्माण और स्थापना भाग में सक्रिय रूप से इस ख़ास कार्य में शामिल हैं।