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Published: Feb 23, 2024 08:43 PM IST

Swami Prasad Mauryaरामचरितमानस विवादित टिप्पणी: SC ने UP सरकार को मौर्य की याचिका पर मांगा जवाब, 10 दिन की मोहलत दी

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
स्वामी प्रसाद मौर्य (PIC Credit: Social Media)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने शुक्रवार को स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) की उस याचिका पर जवाब देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) को 10 दिन का समय दिया जिसमें उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के आदेश को चुनौती दी है।  

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व नेता मौर्य की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने ‘रामचरितमानस’ के बारे में अपनी टिप्प्णी को लेकर जारी कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध किया था। मौर्य पर ‘रामचरितमानस’ के बारे में ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी करने का आरोप है। कार्यवाही राज्य की प्रतापगढ़ अदालत में लंबित है।  

सपा छोड़ने के बाद मौर्य ने बृहस्पतिवार को अपनी नयी राजनीतिक पार्टी ‘राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी’ (आरएसएसपी) का गठन किया। न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने राज्य सरकार के वकील की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगे जाने पर सुनवाई स्थगित कर दी। शीर्ष अदालत ने 25 जनवरी को मामले में मौर्य के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था।  

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष अपनी याचिका में मौर्य ने अपने खिलाफ दायर आरोपपत्र के साथ-साथ निचली अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने 31 अक्टूबर, 2023 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी। संतोष कुमार मिश्रा नामक व्यक्ति की शिकायत पर पिछले साल मौर्य और अन्य के खिलाफ प्रतापगढ़ जिले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।  

पुलिस द्वारा मौर्य और अन्य के खिलाफ निचली अदालत में आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद अदालत ने उन्हें समन जारी किया था। मौर्य ने दावा किया है कि उनके खिलाफ इस आरोप की पुष्टि करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने हिंदू धार्मिक ग्रंथ की निंदा की है।

(एजेंसी)