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Published: Nov 14, 2020 08:35 PM IST

धार्मिक स्थलमहाराष्ट्र में सोमवार से खुलेंगे मंदिर सहित धार्मिक स्थल, आदेश जारी  

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम

मुंबई: दिवाली (Diwali) के मौके पर महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government ) ने महाराष्ट्र के धार्मिक स्थलों (Religious places) को खोलने का आदेश जारी किया है। सरकार के आदेश के अनुसार सोमवार से सभी धार्मिक स्थल खुलेंगे। सरकार के इस आदेश को लोग दिवाली  के तोहफ़ा के रूप में मान रहे हैं। 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने शनिवार को कहा कि राज्य में धार्मिक स्थलों को आगामी सोमवार से फिर खोल दिया जाएगा। कोरोना महामारी के कारण इस साल मार्च में लगाए गए लॉकडाउन के समय से ही राज्य के सभी धार्मिक स्थल बंद हैं। ठाकरे ने एक बयान जारी कर दीपावली के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना वायरस रूपी दैत्य आज भी हमारे बीच है। यद्यपि यह दानव अब धीरे-धीरे खामोश हो रहा है, लेकिन हम ढिलाई नहीं बरत सकते। लोगों को अनुशासन का पालन करने की जरूरत है।”

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘होली, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि और अन्य त्यौहारों में अनुशासन एवं संयम दिखाया गया। इसी तरह लोगों ने ईद, माउंट मेरी जैसे कई त्यौहार भी कोविड-19 संबंधी प्रोटोकॉल का ध्यान रखकर मनाए।”

उनके मुताबिक, सोमवार से सभी धार्मिक स्थल फिर खोल दिए जाएंगे, लेकिन नियमों और सुरक्षा प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘भीड़ से बचना होगा।

धार्मिक स्थलों को खोलना कोई शासनादेश नहीं है, बल्कि यह ईश्वर की इच्छा है। जूते-चप्पल धार्मिक स्थल परिसर से बाहर रखे जाएंगे और मास्क पहनना अनिवार्य होगा।” ठाकरे ने कहा, ‘‘अगर हम अनुशासन का पालन करते हैं तो हमें ईश्वर का आशीर्वाद मिलेगा।” 

गरमाई राजनीति 

सरकार के आदेश के बाद महाराष्ट्र में धार्मिक स्थल खोलने को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। बीजेपी नेता राम कदम का ठाकरे सरकार पर निशाना साधा है और कहा, “ठाकरे सरकार अहंकारी और बहरी सरकार है। जनता को नजरंदाज किया।” 

वहीं कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने अपनी ही सरकार से सवाल करते हुए ट्वीटर पर लिखा, “पूजा स्थलों को खोलने का फैसला मान्य है। लेकिन कल-परसों मुख्यमंत्री ने जोर से कहा कि दिवाली के बाद #कोरोना की नई लहर आएगी और आज यह फैसला? चौंकानेवाला नहीं लगता? ये फैसले हेडलाइन बनाने के लिए हैं या किसी प्रकार की प्रशासनिक रणनीति भी है?