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Published: Jul 08, 2021 12:31 AM IST

Modi Cabinet Expansionसिंधिया को मध्यप्रदेश की सत्ता भाजपा को दोबारा दिलाने का मिला इनाम

कंटेन्ट राइटरनवभारत.कॉम
PTI Photo

भोपाल. कांग्रेस (Congress) छोड़ भाजपा (BJP) में शामिल हुए ग्वालियर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को मोदी सरकार (Modi Government) में मंत्री बनाया गया है। मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को पिछले साल मार्च में गिराकर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सरकार की 15 महीने बाद वापसी कराने में उनकी अहम भूमिका रही है। हालांकि, तभी से उनके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिपरिषद में जगह मिलने की चर्चाएं चल रही थी, लेकिन करीब सवा साल के इंतजार के बाद यह मौका आया।

कभी कांग्रेस के कद्दावार नेता रहे सिंधिया ने 10 मार्च 2020 को कांग्रेस छोड़ी थी और 11 मार्च 2020 को भाजपा में शामिल हुए थे। उनके साथ ही 22 कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था, जिससे मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिर गई थी और 23 मार्च 2020 को भाजपा के शिवराज सिंह चौहान चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। तत्कालीन कमलनाथ सरकार गिरने के कुछ दिन पहले टीकमगढ़ में एक सभा में सिंधिया ने चेतावनी दी थी कि यदि कमलनाथ के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने पार्टी के घोषणा पत्र के वादे पूरे नहीं किये तो वह ‘सड़क पर उतर जायेगें’।

इस चेतावनी पर कमलनाथ ने कहा था, ‘‘तो उतर जायें सड़क पर।” इसके बाद सिंधिया कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गये और 22 बागी कांग्रेस विधायकों के जरिए कमलनाथ की सरकार गिरवा दी। इसके बाद सिंधिया मध्यप्रदेश की राज्यसभा सीट से भाजपा की टिकट पर सांसद बने और अब भाजपा नीत केन्द्रीय सरकार में मंत्री बन गये हैं।

एक जनवरी, 1971 को जन्मे और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड संस्थानों से शिक्षित सिंधिया वर्ष 2002 में एक उपचुनाव जीत कर गुना से पहली बार सांसद बने थे। उनके पिता माधवराव सिंधिया की विमान दुर्घटना में मृत्यु के बाद यह उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी थी।

उस वक्त वह 31 साल के थे। आगे चल कर वह 2007 में कांग्रेस नीत संप्रग-1 सरकार में संचार राज्य मंत्री बने। साल 2009 में वह वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री बने और 2012 में उन्हें संप्रग-2 में ऊर्जा राज्यमंत्री नियुक्त किया गया। साल 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद सोनिया गांधी ने उन्हें लोकसभा में पार्टी का मुख्य सचेतक नियुक्त किया था। वह वर्ष 2019 के आम चुनाव में गुना सीट पर वह अपने पूर्व सहयोगी डॉ के पी यादव (भाजपा) से हार गये।

उनके करीबी सूत्रों के मुताबिक राज्य के गुना से कांग्रेस की टिकट पर चार बार सांसद रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2018 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई लेकिन उनका वाजिब हक-मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री पद-नहीं दिया गया। वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के लंबे समय तक सहयोगी रहे। (एजेंसी)